भाजपा के लिये अग्निपरीक्षा बना रामनगर पालिका का चुनाव

सलीम मलिक रामनगर। उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव की चल रही  प्रक्रिया में नामांकन पत्र वापसी के दिन बसपा प्रत्याशी ने सियासी पिच पर बल्लेबाजी करने के दौरान…

सलीम मलिक
रामनगर। उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव की चल रही  प्रक्रिया में नामांकन पत्र वापसी के दिन बसपा प्रत्याशी ने सियासी पिच पर बल्लेबाजी करने के दौरान अपना बल्ला खुद ही विकेट से लगाते हुये अपने को हिट विकेट कर लिया। इसके साथ ही रामनगर नगर पालिकाध्यक्ष पद के लिये हो रहे चुनाव में निर्वाचन प्रक्रिया शुरु होने के बाद से ही लगातार पल-पल बदलते समीकरणो के कारण यह चुनाव भाजपा के लिये अग्निपरीक्षा बन गया है। बसपा प्रत्याशी के इस कदम से कभी नेपथ्य में रही भाजपा प्रत्याशी रुचिगिरी शर्मा अब चर्चाओं 
के केन्द्र में आ गई हैं। 
कई उतार-चढ़ाव के बाद पार्टी का टिकट प्राप्त करने में सफल रही रुचिगिरी शर्मा को पहला झटका तब लगा था जब उनकी ही पार्टी के तीन कार्यकर्ताओ ने पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुये अपना नामांकन पार्टी लाईन से हटकर करते हुये पार्टी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था। इसके साथ ही कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण कांग्रेस के कददावर नेता भगीरथ लाल चैधरी ने भी कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय चुनाव में उतरने की घोषणा करके पार्टी से बगावत की हिम्मत न जुटा पाने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी की अंदरखाने काट के लिये मंच भी मुहैया करा दिया था। जिसके बाद भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर भीतरघात का संकट बढ़ गया था। इसकी एक बानगी भाजपा प्रत्याशी के नामांकन के दौरान उस समय भी दिखाई दी । और नामांकन के दौरान उम्मीद से कहीं बहुत कम भीड़ पार्टी प्रत्याशी के साथ जुटी। लेकिन तकनीकी कारणो से भगीरथलाल चौधरी के चुनावी दौड़ से बाहर होते ही भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ भीतरघात करने वाले कार्यकर्ताओं की मंशा पर पानी फिर गया। 
अभी तक तेल और तेल की धार देख रहे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने समीकरण लगाकर देखा तो पता चला कि चुनावी चैसर पर उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा अपने ही बागी पार्टी प्रत्याशी के लिये खतरा बने हुये थे। लिहाजा पार्टी के रणनीतिकारो की बैठक में अपनी पार्टी के असंतोष को अपने पक्ष में और कांग्रेस पार्टी के असंतोष को कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी खिलाफ प्रयोग की अदभुत योजना पर काम शुरु करते हुये भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिये अपने बागियों को अपने पाले में करने की कोशिशे  कर दीं। इन कोशिशो में सबसे पहली सफलता भाजपा को पार्टी का टिकट न मिलने की सूरत में भाजपा से बसपा में जा चुके व बसपा के टिकट पर पालिकाध्यक्ष पद के लिये नामांकन दाखिल कर चुके दिनेश चन्द्रा के रुप में नजर आई। 
चन्द्रा को राजनैतिक रुप से सबसे कमजोर कड़ी देखते हुये पार्टी नेताओ ने उनकी नब्ज टटोलने की कोशिश की तो पता चला कि थोड़ी मेहनत से उन्हें अपने पाले में मिलाया जा सकता है। इस मामले में भी दिनेश भाजपा नेताओं की कसौटी पर खरे उतरे। एक-दो बार की छिटपुट बैठक के बाद बीती रात से ही भाजपा नेताओं के सम्पर्क में रहे दिनेश चन्द्रा ने सोमवार को बसपा की ली हुई सदस्यता एक सप्ताह से भी कम समय में शनिवार को छोड़ते हुये भारतीय जनता पार्टी में घर वापसी का ऐलान कर दिया। 
पिछली रात में बसपा प्रत्याशी के तौर पर अपना चुनावी कार्यालय खोलने वाले दिनेश चन्द्रा के इस दांव और भगीरथलाल चैधरी के पूर्व में ही चुनाव से बाहर होने के कारण बदलते हुये राजनैतिक समीकरण देखकर अभी तक भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ ताल ठोंक रहे दूसरे बागी पार्टी प्रत्याशी ओमकार सिंह के ताप-तेवर भी ढीले पड़ गये। जिसके चलते ओंकार सिंह ने भी अपना नामांकन वापस लेकर पार्टी प्रत्याशी का समर्थन करते हुये पार्टी की राह आसान कर दी है। लेकिन भाजपा नेताओ की तमाम कोशिशो के बाद भी भाजपा की एकमात्र शेष रही बागी प्रत्याशी ममता गोस्वामी ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है लेकिन उम्मीद है पार्टी उन्हें भी मनाने में सफल हो जायेगी। भाजपा सूत्रो के अनुसार जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष अजय भटट का रामनगर कार्यक्रम है, जिसमें ममता गोस्वामी को मनाकर उन्हें चुनाव के दौरान निष्क्रिय करने की योजना पर काम चल रहा है। बहरहाल जो चुनाव पहले कई प्रत्याशियों में कई अलग-अलग वजह से फंसा हुआ दिख रहा था।  वह नामांकन पत्रो की वापसी के दिन तक भाजपा वर्सेज कांग्रेस में बदल चुका है। देखना दिलचस्प होगा कि इस सूरत-ए-हाल में कांग्रेस के प्रत्याशी हाजी मौ0 अकरम पालिकाध्यक्ष पद पर हैट्रिक लगाने में सफल होंगे या फिर पहली बार चुनावी समर में उतरी रुचिगिरी शर्मा के हाथो परास्त होकर रामनगर की पालिका राजनीति के इतिहास में पहली बार पालिकाध्यक्ष पद पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की ताजपोशी के गवाह बनेंगे।  
 
 
सोशल मीडिया पर चुटकुले शुरु
बसपा प्रत्याशी दिनेश चन्द्रा द्वारा बसपा के टिकट पर चुनाव न लड़कर भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने के साथ ही सोशल मीडिया पर चुटकुलों का दौर शुरु हो गया। फेसबुक पर कई लोग कार्बेट नेशनल पार्क में उच्च न्यायालय द्वारा हाथी की सफारी बंद किये जाने से इसको जोड़ते हुये ‘रामनगर के चुनावी दंगल में भी हाथी की सफारी पर लगी रोक’, ‘डीएफओ नेहा वर्मा के खौफ से बसपा प्रत्याशी ने छोड़ा हाथी’ जैसी टिप्पणियों से एक-दूसरे का मनोरंजन कर रहें हैं। 
 
 

नामांकन वापसी के बाद पार्टी में हुआ खैरमकदम

निकाय चुनाव में पालिकाध्यक्ष पद पर बसपा प्रत्याशी दिनेश चन्द्रा द्वारा नामांकन पत्र वापस लेकर भाजपा का समर्थन करने पर उत्साहित पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका माल्यापर्ण कर पार्टी में स्वागत किया। पार्टी के नगर अध्यक्ष सत्यप्रकाश शर्मा की अध्यक्षता मंे आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने माल्यापर्ण के साथ श्री चन्द्रा का पार्टी में पुनः स्वागत करते हुये कहा कि टिकट वितरण की स्थिति में पार्टी कई कार्यकर्ताओं में से किसी एक को ही चुनावी टिकट दे सकती है। कई बार कार्यकर्ता इससे नाराज होकर पार्टी के निर्णय के विरुद्ध चले जाते हैं लेकिन यदि सुबह का भूला यदि शाम को घर वापस लौट आये तो उसे भूला नही कहते। इस मौके पर सभी पार्टी कार्यकर्ताओं ने श्री चन्द्रा का स्वागत करते हुये उनसे पार्टी प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिये काम करने की अपील की। 
पत्रकारो के सामने श्री चन्द्रा ने पार्टी छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने को भावावेश मंे आकर उठाया हुआ कदम बताते हुये कहा कि वह पिछले 45 सालो से भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रहें हैं। लेकिन जब उन्हंे याद दिलाया गया कि भाजपा की तो स्थापना ही 38 साल पहले 1980 में हुई थी तो आप 45 साल से भाजपा में कैसे रहे तो उन्होने बयान को संशोधित करते हुये अपने को 35 साल से भाजपा में बताया। जोशीले भाषण में श्री चन्द्रा ने कहा कि भाजपा उनके खून में है लेकिन कुछ लोगो के बहकावे में आकर उन्होने जो पार्टी विरोधी कदम उठाया था उसके लिये वह सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि अब पार्टी की प्रत्याशी रुचिगिरी शर्मा को पालिकाध्यक्ष पद की कुRDर्सी पर आसीन कराने में वह व उनके समर्थक कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इस मौके पर राकेश अग्रवाल, राहुल अग्रवाल, मनोज रावत, दिनेश मेहरा, भावना भटट, शिखर भटट, मनीष अग्रवाल, पूरन नैनवाल, मदन जोशी, नवीन करगेती, भूपेन्द्र खाती, दीपक चन्द्रा सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।