चम्पावत जा रहे है तो जरूर जाये नरसिंह मंदिर

सुभाष जुकारिया पाटी ( चम्पावत )। देवभूमि उत्तराखण्ड के चंपावत जनपद में मानों प्रकृति ने अपनी बरकत बरसायी होंं। प्राकृतिक सुंदरता में इसका कोई सानी…

sidh narsingh mandir

सुभाष जुकारिया

पाटी ( चम्पावत )। देवभूमि उत्तराखण्ड के चंपावत जनपद में मानों प्रकृति ने अपनी बरकत बरसायी होंं। प्राकृतिक सुंदरता में इसका कोई सानी नही है। मायावती आश्रम, पंचेश्वर, देवदार के पेड़ो के बीच में बसा लोहाघाट नगर अपनी एक अलग ही सुंदरता बिखेरते है वही धार्मिक नजरियें से भी इस जिले का प्रमुख स्थान है विश्व प्रसिद्ध बग्वाल इसी जिले के देवीधूरा नामक स्थान पर खेली जाती है। टनकपुर पूर्णागिरी मंदिर, सिक्खों के तीर्थ स्थल रीठा साहिब भी यही पर स्थित है। आज हम बात कर रहे है बांज के घने पेड़ों से घिरा और प्राकृतिक सुदंरता के बीच स्थित सिद्ध नरसिंह मंदिर की जहां दर्शन करने क लिये पूरे वर्ष भर श्रद्धालु आते है। बांज , बुरांश ऊतीश, खरसू सहित कई प्रजातियों के पेड़ो के बीच इस मंदिर में आने से एक असीम शांति और सुकून का अनुभव होता है। नवरात्रि के मौके पर दर्शन के लिये यहा भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है।
चंपावत जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर खेतीखान क्षेत्र के तपनीपाल गांव के 5 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद आता है सिद्ध नरसिंह मंदिर इसे जिसे सिद्ध मंदिर नाम से जाना जाता है । यहां पर वैसे तो हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है । लेकिन नवरात्रि के समय पर यहां भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। विजयादशमी के मौके पर यहां एक मेले का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें दूर-दूर से भक्त लोग आकर पूजा पाठ करते हैं। तथा अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर चढ़ावा चढ़ाते हैं।
इस मंदिर में किसी भी प्रकार की बलि नहीं दी जाती है।यहां पर घंटियों और कपडे से बने से लिसान(देवता का ध्वज का प्रतीक) का चढ़ावा होता है और यहां पर आकर लोगों की हर मनोकामना पूर्ति होती है। इस मंदिर और इसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य बरबस की लोगों को घंटो यहा बैठने पर मजबूर कर देता है। दूर दूर से लोग मंदिर में आकर शीश नवाते हैं और जिनकी मन्नते पूरी हो जाती हैं वह लोग भी नवरात्र के अवसर पर यहां घंटियां चढ़ाने के लिए आते हैं यह मंदिर भी चंपावत के अन्य मंदिरों की तरह जिले में एक खास स्थान रखता है। बताया जाता है कि जो कोई भी अपनी मनोकामना लेकर इस मंदिर में आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
पहले इस मंदिर तक आने के लिये खड़ी चढ़ाई चढ़नी होती थी यहां जाने के लिए एकदम खड़ी चढ़ाई चढ़ने पढ़ती थी लेकिन अब मुख्य मार्ग से सड़क के माध्यम से जुड़ने पर यहां पर लोगों की आवाजाही और बढ़ गई है। जरूरत है इसके प्रचार प्रसार की।