all india strike – अल्मोड़ा में गरजे कर्मचारी, केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों को बताया मजदूर, किसान और जन विरोधी

अल्मोड़ा में अखिल भारतीय हड़ताल (all india strike) पर कर्मचारी संगठनों ने किया प्रदर्शन अल्मोड़ा। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं स्वतंत्र फेडरेशनों के आह्वान पर…

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अल्मोड़ा में अखिल भारतीय हड़ताल (all india strike) पर कर्मचारी संगठनों ने किया प्रदर्शन

अल्मोड़ा। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं स्वतंत्र फेडरेशनों के आह्वान पर बुलाई गई अखिल भारतीय हड़ताल (all india strike) का गुरूवार को अल्मोड़ा में भी असर देखा गया। राष्ट्रीय हड़ताल (all india strike) के अवसर पर स्थानीय गांधी पार्क मैं विभिन ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन कर केंद्र व राज्य सरकारों की नीतियों को मजदूर विरोधी,किसान विरोधी, जन विरोधी बताते हुए अपना रोष व्यक्त किया और संकल्प लिया कि आने वाले समय मैं जन विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को और ज्यादा व्यापक किया जाएगा।

केन्द्रीय कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कर्मचारी अखिल भारतीय हड़ताल (all india strike) को सफल बनाने में जुटे रहे। कर्मचारी यहां स्थानीय चौघानपाटा में एकत्रि​त हुए और केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

अखिल भारतीय हड़ताल (all india strike) के मौके पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि जब covid 19 की महामारी को रोका जा सकता था तब केंद्र मैं बैठी मोदी सरकार नमस्ते ट्रम्प जैसे कार्यक्रम कर रही थी और केन्द्र सरकार इस महामारी के दुष्परिणामो से बेखबर विपक्ष की सरकारों को गिराने में जुटी थी।

वक्ताओं ने कहा कि अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए तब्लीगी जमात के नाम पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का काम कर रही थी। जब महामारी बढ़ने लगी तो आननफानन में लॉकडाउन कर देश मे आर्थिक केबंदी की स्थिति बना दी गई। इतना ही नही इस महामारी के आड़ में लॉकडाउन लगाकर,किसान,बेरोजगार व आम जनता के विरूद्ध अध्यादेश और बाद में संसद से कानून भी पारित कर देश की जनता पर थोप ​दिये गये।और मजदूर विरोंधी श्रम कानून मानसून सत्र के ठीक अंत मे पारित किए गए।

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वक्ताओं ने कहा कि पूरे देश में किसान तीन महत्वपूर्ण बिलों के खिलाफ सड़क पर है। आज मंहगाई चरम पर है सब्जी राशन के दाम आम आदमी के पहूच के बाहर है, किन्तु सरकार लव जिहाद के नाम पर साम्प्रदयिक विभाजन का सहारा ले रहे है।

वक्ताओं ने केंद्र व राज्य सरकार से बेरोजगारों को स्थायी रोजगार देने, न्यूनतम मजदुरी 21000 करने, निजीकरण व ठेकारण बंद करने,, आशा कार्य​कत्रियों , भोजन माता, पीटीसी, ग्राम प्रहरी, को 21000 रुपया प्रति माह मानदेय देने , महंगाई व बेरोजगारी पर रोक लगाने,गैर करदाताओं को 7500 रुपया प्रति माह छह माह तक प्रदान करने की मांग की। प्रदर्शन में दीवान सिंह कार्की, भुवन तिवारी, खीम सिंह, शिव नाथ गोस्वामी, डूंगर राम, पूजा बगडवाल, ममता तिवारी, चंद्रा बिष्ट, तारा चौहान, नीमा देवी, तुलसी भट्ट, नंदन सिंह, अर्जुन, आनंदी मेहरा, रूपा देवी, जानकी देवी, विजय ळष्मी, उमा आगरी, ममता भट्ट, कौसल्या बिष्ट,सुनीता पांडे, यूसुफ तिवारी, स्वप्निल पांडे, अरुण जोशी, दिनेश पांडे, आर पी जोशी आदि शामिल रहे।

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