पूजा पडियार के ऐपण (Aipan) – कुमाऊं की विलुप्त हो रही संस्कृति को जीवंत रखने की मुहिम

Aipan – Campaign to keep Kumaon’s extinct culture alive

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नैनीताल, 29 अल्मोड़ा 2020- कुमाऊं में ऐपण (Aipan) कहलाने वाली रंगोली भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोक-कला है। अलग अलग प्रदेशों में रंगोली के नाम और उसकी शैली में भिन्नता हो सकती है लेकिन इसके पीछे निहित भावना और संस्कृति में समानता है।

इसकी यही विशेषता इसे विविधता देती है और इसके विभिन्न आयामों को भी प्रदर्शित करती है। अब नैनीताल की पूजा अपनी कल्पना शक्ति से जो रंग भर रही है उसके बाद यह ऐपण पूरे देश में धूम मचा रहे हैं

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रंगोली को उत्तराखंड में ऐपण नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में ऐपण (Aipan) का अपना एक अहम स्थान है लेकिन बिगत कुछ वर्षों से ऐपण कला और कुमाऊंनी लोक कला धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है।


लेकिन मूलरूप से नैनीताल जनपद ओखलकांडा निवासी पूजा पडियार अपनी ऐपण (Aipan)
कला के जरिए लोक कलाओं को सहेजने, लोक कलाओं को जीवंत रखने व कुमाऊंनी संस्कृति को देश में ही नही बल्कि विदेशों तक पहुँचाने का कार्य कर रही है।

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पूजा पडियार ने बताया कि वह बचपन से ही कुमाऊंनी संस्कृति के प्रति उनका काफी रुझान रहा है और बीते 2 सालों से हुए विलुप्त हो रही कुमाऊं की संस्कृति को बचाने के लिए ऐपण (Aipan) के जरिए एक छोटी सी कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके ऐपण की विभिन्न राज्यों के लोगों द्वारा मांग की जा रही है। तो उनको काफी अच्छा लगता है। कुमाऊंनी संस्कृति को कुमाऊं में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है।

Aipan

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