अल्मोड़ा की पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष दर दर की ठोंकरे खाने पर मजबूर, भीख मांगकर किसी तरह हरिद्वार में कर रही है गुजारा

हरिद्वार। अल्मोड़ा परिसर की छात्रा उपाध्यक्ष रह चुकी हंसी प्रहरी यहां भीख मांगने पर मजबूर है। विगत दिवस से मीडिया में यह मामला आने के…

हंसी प्रहरी

हरिद्वार। अल्मोड़ा परिसर की छात्रा उपाध्यक्ष रह चुकी हंसी प्रहरी यहां भीख मांगने पर मजबूर है। विगत दिवस से मीडिया में यह मामला आने के बाद से अल्मोड़ा में उन्हे जानने वाले उनको लेकर चिंतित है। बता दे कि हंसी प्रहरी ने अल्मोड़ा परिसर से डबल एमए किया था और वह वर्ष 1999—2000 में छात्र संघ की छात्रा उपाध्यक्ष रही थी। लेकिन समय का फेर देखियें कि हंसी आज हरिद्वार में दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है।

अल्मोड़ा परिसर की छात्र संघ उपाध्यक्ष रह चुकी है हंसी प्रहरी


अल्मोड़ा—कुवाली— बग्वालीपोखर मोटर मार्ग पर गोविंदपुर के पास एक गांव है रणखिला। हंसी प्रहरी यही की रहने वाली है। पहाड़ के एक गांव से जब वह पढ़ने के लिये अल्मोड़ा परिसर आई तो अपने सरल सहल स्वभाव से उसने सभी का दिल जीत लिया। पढ़ाई में तो तेज थी ही बहस मुबाहिसों में वह हमेशा आगे रहती थी और पहाड़ के एक छोटे से गांव रणखिला के लोग उस समय गर्व से भर गये जब पता चला कि उनके गांव की बिटिया हंसी प्रहरी
वर्ष 1999—2000 में अल्मोड़ा परिसर की छात्र संघ उपाध्यक्ष चुनी गई है। हंसी के अनुसार उन्होने चार वर्ष परिसर में कांट्रेक्ट पर लाइब्रेरियन की नौकरी भी की।

hansi prahari


लेकिन शादी के बाद की जिंदगी हंसी प्रहरी
के लिये काफी उथल पुथल लेकर आई। इस बारे में हंसी ने साफ तौर पर तो कुछ नही बताया ​लेकिन हरिद्वार में वह जिस हालात में रह रही है उससे साफ तौर पर लगता है कि उनकी वैवाहिक जिंदगी काफी कष्टमय रही है। हंसी को लगता है ​कि अगर यह बात उनके घर तक पहुंचेगी तो उनके परिजनों को कष्ट होगा।

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वैवाहिक जिंदगी में मिले धक्के से काफी समय तक हंसी मानसिक रूप से परेशान रही और वह हरिद्वार आई लेकिन उनका स्वास्थ्य भी अब उनका साथ नही दे रहा है। और वह भीख मांगने पर मजबूर है। उनकी पुत्री अपनी नानी के पास है और पुत्र उनके साथ ही रहता है। अपनी हालत को लेकर वह मुख्यमंत्री को तक पत्र लिख चुकी है।


हमारी आप सभी से अपील है कि यदि आप हरिद्वार में रहते है तो हंसी की मदद के लिये आगे आयें तांकि वह सम्मानजनक जिंदगी के लिये कदम आगे बढ़ा सकें


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