ग्राउंड रिपोर्ट : कही गांव को ही ना तबाह कर दे आॅल वेदर रोड निर्माण का मलबा

ललित  मोहन गहतोड़ी चम्पावत। चम्पावत जिले के धौन कस्बे की तलहटी में बसा है मझेड़ा गांव। गांव की आबादी पलायन के चलते अंगुलियों में गिनती…

champawat ke mjheda gaon ki vyatha 1

ललित  मोहन गहतोड़ी

चम्पावत। चम्पावत जिले के धौन कस्बे की तलहटी में बसा है मझेड़ा गांव। गांव की आबादी पलायन के चलते अंगुलियों में गिनती भर। ग्रामीण दिन रात अनहोनी आशंकाओं से घिरे। प्राकृतिक आपदा से लगातार जूझ रहा। जंगली जानवरों के भय से त्रस्त। आवागमन के साधनों से विहीन। एक ऐसा गांव है जहां पर आज भी आदम युग में ग्रामीण जीने को मजबूर हैं।
मुझे खबर मिली थी कि एनएच स्थित धौन से लगभग चार किलोमीटर तलहटी में बसे मझेड़ा गांव के ग्रामीण अपने ठीक उपर की तरफ स्थित डंपिंग जोन का विरोध कर रहे हैं। लेकिन तब तक इसे डंपिंग जोन चिन्हित कर कार्यदायी संस्था की ओर से इसमें मलबा फैकना शुरू कर दिया गया था,  मैं खबर की पड़ताल करने एक ट्रक में बैठकर मझेड़ा के लिए निकल पड़ा। यह मेरी किस्मत ही थी कि स्वयं ट्रक का ड्राइवर भी मझेड़ा गांव का ही निकला जो बच्चों को पढ़ाने के लिए नजदीकी नगर में बसा है। उसने सफर के इस आधे घंटे के रास्ते में मुझे गांव के संबंध में बहुत बातें बताई इसके चलते मेरी इस गांव तक पहुंचने की उत्सुकता और बढ़ गई गई थी। उसने जल्द टनकपुर पहुंचना था सो उसने मुझे धौन के पास मझेड़ा गांव जाने वाले रास्ते पर उतारकर रास्ते का नक्शा समझा दिया। पहला कदम रखते ही इस गांव को जाने वाला रास्ता आम रास्तों की ही तरह संकरा और क्षतिग्रस्त था।
बीच पगडंडी में बसे दो और गांवों से उतरते हुए लंबी जद्दोजहद के बाद तलहटी स्थित मझेड़ा गांव पहुंचा तो पहली नजर में जाना कि प्राकृतिक आपदा इस गांव के लिए नयी नहीं है। गांव स्थित खेत खलिहान मलबे की चपेट में आकर टूटे फूटे मकान, क्षतिग्रस्त पुल, लोगों के चलने के लिए जगह जगह उबड़ खाबड़ रास्ता वह सब कुछ है जो इस गांव की पीड़ा व्यक्त करने के लिए काफी था। इसके अलावा अब ग्रामीणों के लिए एक मुसीबत और आन खड़ी हुई है और यह मुसीबत प्रशासन की ओर से इस गांव की अनदेखी के चलते पैदा हुई है। असल में जब से आल वेदर सड़क निर्माण कार्य चला है तब से ही ग्रामीण उपरी हिस्से से आ रहे मलबे के गांव तक पहुंचने की आशंका से डरे सहमे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी लगभग बारिश के समय इस गांव में उपरी हिस्से से तलहटी की ओर आ रहे मलबे से भारी तबाही मचती रही है। अब एन एच में आल वेदर निर्माण के चलते बनाये गये डंपिंग जोन से यह खतरा और बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बारे में वह कई मर्तबा जिलाधिकारी के माध्यम से शासन-प्रशासन को अवगत करा चुके हैं।
champawat ka majheda gaon
Photo Credit – Naveen Rawat
जंगली जानवरों के भय से भी आंशकित है ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि इस सबके अलावा उन्हें जंगली जानवरों का भय अलग से लगा रहता है । इस भय के चलते शाम होते ही अधिकतर लोग घरों से निकलने से परहेज़ करते हैं। बंदरों का आतंक तो गांव में इस कदर व्याप्त है यदि कोई ग्रामीण भूलवश घर का दरवाजा खुला छोड़कर चला जाये तो उसके घर बंदर उथल पुथल कर रख देते हैं। खेतों में खड़ी फसल जंगली जानवर बर्बाद करके रख देते हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहा काली कुमाऊँ का यह गांव आज भी भय और आशंकाओं के सहारे जी रहा है।