Covid-19 के दौर में जरूरतमंदों को दे मदद: डीवाईएफआई ने की मांग

भारत की जनवादी नौजवान सभा ने राज्य सरकार से कोविड महामारी Covid-19 के दौर में जरूरतमंदों को मदद देने की मांग की है। बीते मंगलवार…

भारत की जनवादी नौजवान सभा ने राज्य सरकार से कोविड महामारी Covid-19 के दौर में जरूरतमंदों को मदद देने की मांग की है।

बीते मंगलवार को संगठन के राज्य अध्यक्ष युसूफ तिवारी और जिलाध्यक्ष स्वप्निल पांडे ने जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।
ज्ञापन में कहा गया है कि covid-19 महामारी के चलते भारत व उत्तराखंड राज्य भारी बेरोजगारी और आर्थिक संकट से ग्रस्त है। जिसका सीधा असर भारत के भविष्य छात्र युवा वर्ग पर पड़ा है।

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कहा कि भारत में सार्वजनिक शिक्षा सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सार्वजनिक रोजगार के क्षेत्रों पर पूंजीवादी ताकतों द्वारा पोषित प्रेषित उदारवादी नीतियों का हमला अपने चरम पर पहुंच गया है और मजदूरों के काम के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है। और इसके साथ ही वेतन में भी कटौती की गई है जिस कारण आम जनता एक स्वस्थ खुशहाल जीवन यापन करने में असमर्थ हो गई है।

कहा कि बहुत से छात्र लोन लेकर पढ़ाई करते है और महामारी covid-19 के कारण बेरोजगारी और वेतन कटौती का दंश झेल रहे गरीब परिवार लोन की किस्त तक नही चुका पा रहे है और बहुत से छात्र युवा किसान परिवारों से हैं जो लॉकडाउन के सहज रूप से बाजार ना खुलने के कारण अपनी फसल तक नही बेच सके है। यही नही महामारी के दौरान व्यापार ना होने के कारण व्यापारियों के पास भी पूंजी का अभाव हो गया है।


ज्ञापन में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी covid-19
के दौरान देश का गरीब कामगार मेहनतकश व्यापारी किसान हर प्रकार का वर्ग आर्थिक रूप से प्रभावित हुआ है।

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ज्ञापन में तमाम छात्र और युवाओं को सस्ती शिक्षा और रोजगार सुनिश्चित किया जाने, शिक्षा को रोजगार से जोड़े जाने, अलग-अलग विषयों में डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी धारक बेरोजगार युवाओं को योग्यता के अनुसार रोजगार मुहैया कराने की मांग की गई है।


ज्ञापन में आर्थिक रूप से बेहद कमजोर वर्ग के छात्रों को चिन्हित कर आगामी सत्र में उन सभी छात्रों की फीस माफ करने, लॉकडाउन के दौरान युवाओं द्वारा जीविकोपार्जन के लिए व्यवसायिक उद्यम शुरू करने के लिए उन्हे सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराने, कर्ज में डूबे युवाओं का कर्ज माफ कर उनको अवसाद और आत्महत्या से रोके जाने की मांग की गई है।


ज्ञापन में आर्थिक और काम के क्षेत्रों में मनरेगा का दायरा बढ़ाते हुए लॉकडाउन के वक्त देश विदेश से पहाड़ लौटे युवाओं को रोजगार से जोड़ने, स्थानीय लोगों को रोजगार में 27 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाने, तथा रोजगार न मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिया जाने की मांग शामिल है।

ज्ञापन में सरकारी क्षेत्रों में मौजूद बैकलॉग के तमाम पदों को शीघ्र भरने और नई नियुक्तियों का कैलेंडर जारी करते हुए अनुशासन एवं वक्त की पाबंदी के साथ इसे भरे जाने की मांग की गई है।

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