महेन्द्र सिंह धौनी ( Mahendra singh dhouni)के गांव का महेन्द्र भी चाहता है देश के लिए खेलना, लेकिन गांव में नहीं है मैदान, स्कूल जाने के लिए भी चढ़नी पड़ती है 6 किमी की चढ़ाई

Mahendra Singh dhouni

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Mahendra of the village of Mahendra Singh dhouni also wants to play for the country, but there is no ground in the village, one has to climb 6 km to go to school.

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अल्मोड़ा-13 सितंबर 2020- लमगड़ा ब्लाँक का सुदुरवर्ती घाटी में बसा सुरम्य गांव है ल्वाली, यह गांव जिला प्रदेश और देश में अब लोगों की जुबां पर आ गया है| कारण है भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी(Mahendra singh dhouni) का मूल गांव यही है|

Mahendra Singh dhouni
फोटो उत्तरा न्यूज- महेन्द्र सिंह धौनी का गांव ल्वाली

लमगड़ा से आगे चायखान से इस गांव के लिए सड़क मिलती है जो कई छोटे -छोटे गांवों को जोड़ते हुए ल्वाली फिर जैंती पहुंचती है. चायखान से करीब 20 किमी दूर यह गांव है और ल्वाली गांव से ही करीब 20.किमी दूर जैंती तहसील मुख्यालय व जैंती कस्बा है| यहीं इस गांव की कंट्रोल मूल्य के राशन की दुकान, इंटर काँलेज और महाविद्यालय भी है|

Mahendra Singh dhouni
फोटो उत्तरा न्यूज- ल्वाली गांव के युवा

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी(Mahendra singh dhouni)) का गांव अल्मोड़ा के ल्वाली में है, भले ही दुनियां में महेन्द्र सिंह धोनी ने क्रिकेट में भारत का डंका बजाया हो लेकिन गांव में युवाओं के लिए खेल का मैदान भी नही है. गांव में तेजी से गांव में पलायन हो रहा है. स्कूल जाने को भी यहां के भविष्य के 6 किलोमीटर पैदल जैंती जाना पड़ता है. क्योंकि सड़क मार्ग से जैंती जाए तो 20 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है|

पूरे देश के युवाओं का आयकन बन चुके महेन्द्र सिंह धौनी ने भले ही टी-20, वनडे और टेस्ट क्रिकेट में भारत को कई सीरीज में जीत दिलाई हो लेकिन धौनी के गांव की स्थिती ठीक नही है|
2015 में गांव का कुछ हिस्सा सड़क से जुड़ तो गया है लेकिन खेल का मैदान नही होने से युवा मायूस है. क्रिकेट में भविष्य बनाने की मंशा तो युवाओं की है लेकिन संसाधन नहीं है,सिर्फ टीवी में महेन्द्र सिंह धोनी(Mahendra Singh dhouni) को खेलते देखकर खुश है। युवाओं का कहना है कि गांव का ऊपरी छोर यदि सड़क से जुड़ जाता तो लोगों को जैंती पहुंचने में काफी आसानी होती| अस्पताल की सुविधा भी जैंती में ही दिखती है|

गांव के महेन्द्र की उम्मीद गांव में खेल का मैदान होता तो सपने को जरूर लगते पंख

ल्वाली गांव के एक युवा है महेन्द्र सिंह धौनी (Mahendra Singh dhouni)नाम व राशि भले ही क्रिकेटर धौनी से मिलता है लेकिन अवसर और सुविधाएं यहां न्यून है| महेन्द्र ने कहा कि वह भी क्रिकेट में भविष्य बनाना चाहते थे लेकिन गांव में खेलने के लिए एक मैदान तक नहीं हैं धौनी को खेलते देख वह दिल को तसल्ली दे देते है| कहा कि इंटर तक की पढ़ाई के लिए यहां के बच्चे को जैंती जाना पड़ता है कहा कि पैदल जाएं तो करीब 6 किमी की दूरी है और सड़क मार्ग से जाँएं तो दूरी 20 किमी है| उन्होंने भी कहा कि यदि जैंती से गांव के ऊपरी छोर होते हुए गांव तक सड़क बन जाती तो लोगों को इतना पैदल नहीं चलना पड़ता|

Mahendra Singh dhouni
फोटो उत्तरा न्यूज धौनी का पैतृक मकान

ग्रामीणों को है गर्व कि वह धौनी (Mahendra singh dhouni)के गांव से हैं

गांव के ग्राम प्रधान दिनेश धौनी को भी गर्व है कि वह पूर्व भारतीय किक्रेटर के पैतृक गांव के प्रधान हैं 2004 में जब महेन्द्र सिंह धौनी अपने गांव आये थे तब खेतों में उनके साथ भी खेले अब दुबारा जरुर गांव आऩे का इंतजार सभी को है. उन्होंने बताया कि आईपीएल चेन्नई सुपर किंग्स को जीतने की कामना ग्रामीण कर रहे है़| प्रधान दिनेश ने कहा कि राशन की दुकान भी जैंती में है| यदि राशन लाना है तो गांव वाले ट्रक में राशन लाते हैं और बाद में सड़क से उसे ग्रामीण खच्चरों के माध्यम से घर तक ले जाते हैं|

Mahendra Singh dhouni

स्थानीय लोगों की मांग धौनी (Mahendra singh dhouni))के सम्मान में लमगड़ा में बने अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम

स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि भी लमगड़ा ब्लाँक में कही पर भी एक अन्तराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम की मांग कर रहे है जो पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी (Mahendra Singh dhouni)के नाम से हो जिसमें युवा अपना भविष्य बना सके। पूर्व जिलापंचायत सदस्य व कांग्रेस के ब्लाँक अध्यक्ष दिवान सतवाल ने कहां कि महेन्द्र सिंह धौनी के चलते लमगड़ा ब्लाँक का नाम हुआ है धौनी ल्वाली व लमगड़ा सहित पूरे प्रदेश व देश की शान है ऐसे में सरकार को चाहिए कि लमगड़ा में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बने ताकि खेल प्रतिभाओं को भविष्य बनाने का मौका मिले|