पहाड़ के पहाड़ जैसे सवाल, गर्भवती के साथ रैफर-रैफर का खेल खेलते रहे अस्पताल, गर्भस्थ शिशु की मौत

गर्भस्थ शिशु की मौत

Questions like Pahar, Hospital playing pregnant with Referee-Referee, Death of an unborn baby गर्भस्थ शिशु की मौत

अल्मोड़ा, 11 सितंबर 2020- लगता है उत्तराखंड में जो भी सत्ता में आता है या तो उसे कुंभकर्णीय नींद आ जाती है या फिर वह आंखे बंद कर लेता है| राज्य बनने के 20 सालों के भीतर हमारा सिस्टम एक सुरक्षित प्रसव तक नहीं करा पा रहे हैं| ताजा मामले में भी पहाड़ की एक महिला के साथ यहां के संवेदनहीन अस्पताल सुविधाओं का रोना रोते हुए रैफर करने का खेल खेलते रहे जब तक वह महिला हल्द्वानी पहुंची तब तक गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी थी|


महिला अभी भी अस्पताल में भर्ती है|पहाड़ के अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है,यहां कभी नवजात की जिंदगी सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ती है तो कभी गर्भवती इन बेरहम अस्पतालों के दर पर आंखरी सांस लेती है। कभी यह कुंभकर्ण के अवतार बीमार को रैफर कराने की ड्यूटी बजा कर मौन हो जाते हैं|


बेरीनाग में प्रसव न होने के कारण गर्भवती महिला को अल्मोड़ा रेफर किया गया। पर अल्मोड़ा अस्पताल में आईसीयू न होने के कारण डॉक्टरों ने गर्भवती का प्रसव कराने से हाथ खड़े कर दिए। बाद में हल्द्वानी पहुंचते-पहुंचते महिला के गर्भस्थ शिशु ने दम तोड़ दिया|
हल्द्वानी महिला अस्पताल के डॉक्टरों ने देर रात करीब एक बजे सर्जरी कर मरे बच्चे को पेट से बाहर निकालकर महिला की जान बचाई। महिला फिलहाल भर्ती है।बेरीनाग के निकट पाखू निवासी हेमा (22) को नौ महीने का गर्भ था। बुधवार सुबह उसे प्रसव पीड़ा हुई। बेरीनाग के स्थानीय चिकित्सालय में उसकी जांच हुई, पर बीपी बढ़ा होने व सिजेरियन डिलिवरी की आशंका को देखते हुए डॉक्टरों ने महिला को अल्मोड़ा रेफर कर दिया।
अल्मोड़ा पहुंचते तक महिला की प्रसव पीड़ा से तबीयत काफी खराब हो गई। अल्मोड़ा में भी आईसीयू व बाकी सुविधाएं न होने का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने गर्भवती महिला को हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया। दर्द से तड़पती महिला को उसके परिजन हल्द्वानी की ओर लेकर चले।

रात करीब एक बजे परिजन गर्भवती  को महिला अस्पताल लाए, लेकिन तब तक बच्चे ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया। हल्द्वानी के डाक्टरों का कहना है कि महिला की तबीयत बहुत खराब थी। यदि थोड़ी देर और होती तो महिला की जान जाने का भी डर था।