बड़ी खबर : हाईकोर्ट ने अश्लीलता फैलाने वाली वेबसाईटों पर रोक लगाने को कहा

 अश्लीलता परोसने वाले  वेबसाईटों के खिलाफ हो सख्त कार्यवाही  रवीन्द्र देवलियाल नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देहरादून के एक स्कूल में नाबालिग बच्ची के साथ…

 अश्लीलता परोसने वाले  वेबसाईटों के खिलाफ हो सख्त कार्यवाही 

रवीन्द्र देवलियाल

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देहरादून के एक स्कूल में नाबालिग बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए अश्लील सामग्री परोसने वाले 800 से अधिक पोर्न साइटों पर लगाम लगाने के निर्देश दिये हैं। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कहा है कि जो इंटरनेट लाइसेंसधारक जुलाई 2015 में जारी अधिसूचना का अनुपालन नहीं करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाये और उनका लाइसेंस रद्द करे। 
कोर्ट ने कहा कि सरकार ने 31 जुलाई 2015 को जारी की गयी अधिसूचना में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिये विभिन्न प्रावधान सुनिश्चित किये हैं। सभी इंटरनेट सेवा लाइसेंसधारकों की जिम्मेदारी है कि वे समाज में यौन शोषण फैलाने वाली अश्लील सामग्री के प्रकाशन व प्रसारण को बंद करे। खासकर बच्चों के मनोविज्ञान को प्रभावित करने वाली ऐसी इलैक्ट्रानिक रूप में प्रसारित होने वाली अश्लील सामग्री के प्रकाशन व संचरण को बंद करे। 
कोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिये कि नियमों का अनुपालन न करने वाले ऐसे लाइसेंस धारकों का सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत लाइसेंस निरस्त करे। साथ ही केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को निर्देश दिये कि  वह इस आदेश का अनुपालन कराना सुनिश्चित कराये। 
कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया कि शैक्षणिक संस्थानों में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को भी कहा है कि वह देहरादून स्कूल में हुए गैंग रेप की  घटना का आठ हफ्ते के अंदर जांच पूरी करे और कानून सम्मतव कार्यवाही अमल में लाये।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ ने विभिन्न समाचार पत्रों में छपी खबर का संज्ञान लेते दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए आज ये निर्देश जारी किये हैं। कोर्ट ने इस मामले में अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ को न्यायमित्र अधिवक्ता नियुक्त किया है। 
कोर्ट ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा खतरे में है। गैंग रेप की इस घटना में शामिल नाबालिग आरोपियों ने घटना को अंजाम देने से पहले अश्लील सामग्री देखी। उसके पीड़िता को बुलाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।  कोर्ट ने इस मामले में स्कूल प्रबंधन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किये हैं।