अल्मोड़ा के हुकुम सिंह के पाँलीहाउस में दिख रही है आत्म निर्भरता(Self reliance),जैविक टमाटर व खीरे की घर पर ही आ रही है डिमांड

Self reliance

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Self reliance is seen in Hukum Singh’s Polehouse in Almora, organic tomatoes and cucumbers are coming in demand at home

अल्मोड़ा,18 जुलाई 2020- धौलादेवी के चमुवा खालसा के हुकुम सिंह के पाँलीहाउस आत्म निर्भरता(Self reliance) की कहानी बयां कर रहे हैं.

Self reliance

दिल्ली की चकाचौंध छोड़ गांव आकर खेती शुरू करने वाले हुकुम लिंह कार्की ने दिखा दिसा कि आत्मनिर्भरता मेहनत में ही है. प्रकृति द्वारा प्रदत्त आबोहवा को यदि रेजगार का साधन बनाया जाय तो सफलता की कहानी बनने(Self reliance) में ज्यादा समय नही लगता है.

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दिल्ली में नौकरी कर वापस लौटने वाले हुकुम सिंह ने बेरोजगारी का रोना रोने की बजाय अपने उद्यम को आर्थिकी से जोड़ने का प्रयास शुरु कर गिया.

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उन्होंने में गांव में सब्जी उत्पादन को अपना रोजगार माना. पिछले कुछ सालों में गांव में ही सब्जी उत्पादन से लाखों रुपये कमाना शुरु किया. आज हुकुम सिंह का टमाटर 40 रुपये किलो बिक रहा है. यही नहीं गांव से मुख्य सड़क तक ढुलाई में प्रति कैरेट 25 रुपये की लागत आने के बावजूद उनके टमाटर को घर पर ही आर्डर मिल रहे है.

उन्होंने खीरा की विभिन्न प्रजातियों के साथ ही ओपन फील्ड में बीन व राजमा का उत्पादन भी किया है.
इसके साथ ही बेमौसमी सब्जियों की मांग भी तेज हो गयी है.

 गांवों में सुविधायें नही होने से लोग मैदान की तरफ पलायन कर रहे है. कुछ लोग अपनी मेहनत से सफलता चाहते है. उनमें से ही एक हुकम सिंह है जो दिल्ली में नौकरी करते थे. फिर उन्होंने गांव लौट कर खेती को अपना व्यवसाय बनाया और नकदी फसलों का उत्पादन शुरु किया. इस बीच गांव में ग्राम्या परियोजना भी आ गई और उन्होंने उससे भी मदद ली.

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आज हुकुम सिंह के पास दो पाँलीहाउस है और आस-पास खेतों में भी सिर्फ सब्जी का ही काम करते है.इस बार टमाटर के अच्छे रेट मिलने से भी खुश है. हुकुम सिंह (hukum singh)के साथ उनका पूरा परिवार सब्जी उत्पादन में मदद करता है. उन्होंने बताया कि पूरे क्षेत्र में जैविक खेती अन्य लोग भी करने लगे हैं. जैविक खेती उनकी लोकप्रियता का खास पैमाना है. वर्मी कमपोस्ट के अलावा वह कोई अन्य रसायनिक खादों का उपयोग वह नहीं करते हैं.(Self reliance)

Hukum singh
Photo- hukum singh

उनकी परिवार की सदस्य व उनकी भाभी देवकी देवी भी पूरी तरह खेती से आय अर्जन करती हैं. बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी तक के खर्चे इन्ही बेमौसमी सब्जियों से ही होती है. अपने उत्पादन को वह फिलहाल जागेश्वर,पनुवानौला और दन्या बाजार तक पहुंचाते हैं.

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बागवानी और नकदी फसलों की खेती भी बढ़ाएगी आत्म निर्भरता(Self reliance)

हुकुम सिंह ने अब बागवानी की ओर भी कदम बढ़ाए हैं, खुबानी सहित कई फलों की पौध उन्होंने खाली जमीन पर लगाए हैं जो अब बढ़ने लगे हैं. इसके अलावा खुले में अदरक की खेती भी की जा रही है.उन्हें उम्मीद है कि अदरक की फसल भी उन्हें अच्छा लाभ देगी. उनके अलावा इन्द्र सिंह सहित कई अन्य काश्तकार भी प्रोत्साहित हुए हैं. जल संरक्षण के लिए भी वाटर स्टोरेज टैंक का निर्माण किया गया है.

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