मासूम के उपचार में लापरवाही पर स्टाफ नर्स को छह माह की सजा,जिला एवं सत्र न्यायालय का फैसला, निचली अदालत के आदेश को बदला डाक्टर को कियी बरी

मासूम के उपचार में लापरवाही पर स्टाफ नर्स को छह माह की सजा,जिला एवं सत्र न्यायालय का फैसला, निचली अदालत के आदेश को बदला डाक्टर…

मासूम के उपचार में लापरवाही पर स्टाफ नर्स को छह माह की सजा,जिला एवं सत्र न्यायालय का फैसला, निचली अदालत के आदेश को बदला डाक्टर को कियी बरी

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अल्मोड़ा।
मासूम के इलाज में लापरवाही को लेकर जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश डा़ ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने अभियुक्ता डॉक्टर को बरी कर दिया है जबकि स्टाफ नर्स को छह माह के कारावास व 10 हजार के अर्थ दंड की सजा सुनाई है। पांच साल पुराने इस मामले में न्यायाधीश ने निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए यह सजा सुनाई है। निचली अदालत में डाक्टर व नर्स दोनों को दोषी करार दिया था|

अभियोजन कहानी के अनुसार 22 दिसंबर 2013 को बेस चिकित्सालय में इलाज के लिए आई दिशा जीना पुत्री रमेश जीना के इलाज के दौरान बाल रोग विशेषज्ञ डा़ प्रीति पंत ने उसके हाथ में इंजेक्शन देने के लिए कैथ लगाया। इस दौरान कई इंजेक्शन भी लगाए। डयूटी में तैनात स्टाफ नर्स गीता आर्या की ओर से लगाए गए कैथ में कई इंजेक्शन लगाए गए। बच्ची के पिता रमेश जीना ने कैथ लगने के बाद बच्ची को हो रही परेशानी व हाथ में सूजन होने की बात कही। लेकिन नर्स ने उनकी बातों की ओर से ध्यान नहीं दिया। दूसरे दिन सुबह छह बजे बच्ची के पिता ने उसका हाथ देखा तो उसमें काफी सूजन आ गया था। हाथ की अंगुलिया नीली पड़ गई थी। उनकी ओर से यह जानकारी नर्सो को दी गई। बाद में करीब 10 बजे डॉक्टर प्रीति पंत पहुंची तो उन्होंने बच्ची के हाथ में सूजन बढ़ता देख उसे हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल में रेफर कर दिया। जहां डॉक्टरों ने बच्ची के दायें हाथ में गैगरीन होने की सूचना दी | बाद में इस बच्ची के दायें हाथ की अंगुली काटनी पड़ी। पीड़ित पिता ने थाना कोतवाली अल्मोड़ा में मामले की शिकायत को लेकर तहरीर सौंपी। मामले का विचारण न्यायिक मजिस्ट्रेट अनीता कुमारी के अदालत में चला। मामले में अभियोजन की ओर से 10 गवाह पेश किए गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट अनीता कुमारी ने अभियुक्ता डा़ प्रीति पंत व गीता आर्या को धारा 269 में छह-छह माह की सजा व 10-10 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई। व 336 में तीन-तीन माह का कारावास की सजा सुनाई। मामले को लेकर अभियुक्ताओं की ओर से जिला सत्र न्यायालय में अपील पेश की गई। जहां जिला सत्र न्यायाधीश डा़ ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों का परिसीलन कर अभियुक्ता डा़ प्रीति पंत को दोनों धाराओं से बरी कर दिया। वहीं, अभियुक्ता गीता आर्या स्टाफ नर्स को धारा 269 में छह माह का कारावास व 10 हजार के अर्थदंड से दंडित किया। हालांकि नर्स को भी धारा 336 में दोषमुक्त किया। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गिरीश चंद्र फुलारा व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शेखर चंद्र नैनवाल एवं विशेष लोक अभियोजक भूपेंद्र कुमार जोशी ने पैरवी की जबकि डाक्टर प्रीति पंत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचबी नैनवाल ने पैरवी की।
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