अल्मोड़ा में इंस्टीटयूशनल कोरेंटीन(Institutional Corentin) में रह रहे युवाओं ने पेश की मिशाल, जंगल में बिखरे पिरूल का किया निस्तारण

Institutional Corentin

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The youth living in Institutional Corentin in Almora presented the mishala, disposal of scattered pirul in the forest

अल्मोड़ा:29 मई 2020: कोरोना काल में विभिन्न क्षेत्रों से गांव पहुंचे अल्मोड़ा जिले के युवाओं ने संस्थागत कोरेन्टीन(Institutional Corentin) में रहते हुए एक मिशाल पेश की है.

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इन युवाओं ने अपने कोरेन्टीन स्थल के पास के जंगल में गिरे पिरूल(चीड़ की सूखी पत्तियां) को एकत्र कर उसका निस्तारण किया. युवाओं की इस टीम का कहना था कि खाली समय में यदि वह अपने जंगल को आग से बचा पाएं तो यह उनकी एक सेवा ही होगी.

बताते चलें कि राज्य के अन्य जिलों की भांति अल्मोड़ा जिले में भी हजारों की संख्या में प्रवासी घरों को लौट रहे हैं। कई के पास गांव में एक ही मकान या सुविधाएं नहीं होने से वह सार्वजनिक भवन या फिर स्कूलों में रह रहे हैं।

जिले के दन्या काभड़ी गांव में 8 युवा अपने गांव के प्राथमिक स्कूल में रह रहे हैं. यहां वन सरपंच आशा जोशी ने अन्य राज्यों से लौटे युवाओं से मुलाकात की और उनसे कुशलछेम पूछने के बाद जंगल को आग से बचाने में सहयोग की अपील की.

उन्होंने कहा कि काभड़ी वन पंचायत के पास 33 हेक्टेयर वन क्षेत्र है, अधिकांश क्षेत्र में चीड़ के पेड़ होने के कारण आग लगती है, आप चीड़ के पत्तों को एकत्र कर जलाने में मदद करें.

आशा जोशी की अपील पर प्राइमरी स्कूल काभड़ी में संस्थागत कोरेन्टीन में रह रहे युवा आसपास के जंगल मे गये जहाँ पूर्व में सरपंच द्वारा बांज सहित अन्य पेड़ों का रोपण किया था. युवाओं ने जंगल में फैले पिरूल को एकत्र कर उसका निस्तारण किया.

जंगल में पिरूल एकत्र करने वाले युवा महेंद्र प्रसाद ने कहा कि हमे सरपंच का सुझाव अच्छा लगा और हम सभी 8 साथी जंगल को बचाने निकले, जहाँ पर बांज सहित अन्य पेड़ों का रोपण हुआ है, उसके आसपास चीड़ के पिरूल को एकत्र किया फिर उसका निस्तारण कर दिया.

वहीं अन्य युवा मनोज का कहना है कि हमारे जंगल हर साल जल जाते थे इस बार कोरोना संक्रमण के कारण हम स्कूल में रह रहे थे, जब सरपंच ने कहा तो हमने इस बार पेड़ों को बचने की मुहिम शुरू कर दी है.