गैरसैंण को लेकर हरीश रावत का सरकार पर तंज: कहा, गैरसैंण में ठण्ड नहीं लगती है बल्कि गैरसैंण हमारी आत्मा और भावनाओं में पैदा करता है गर्माहट, सांकेतिक उपवास पर बैठेंगे हरदा

डेस्क। गैरसैंण को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है। हाल ही में सरकार ने गैरसैंण में बेहद ठंड होने तथा व्यवस्थाएं दुरुस्त…

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डेस्क। गैरसैंण को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है। हाल ही में सरकार ने गैरसैंण में बेहद ठंड होने तथा व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं होने का हवाला देते हुए शीतकालीन सत्र को देहरादून में कराने की मंशा जताई है। सरकार के इस कदम के बाद राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गैरसैंण राज्य आंदोलन की भावना का प्रतीक रहा है। जिसकी गर्माहट ने देश ​का दिल पिघला दिया, भारत सरकार को पिघला दिया जिसके बाद उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया।
अपने फेसबु​क वॉल में पोस्ट कर कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार कहती है कि हमारे विधायकों को गैरसैंण में ठण्ड लग जाती है, तो मैंने तय किया है कि नहीं, गैरसैंण में ठण्ड नहीं लगती है गैरसैंण हमारी आत्मा और भावनाओं में गर्माहट पैदा करता है। यह सिद्ध करने के लिए मैं 4 दिसम्बर को जिस समय देहरादून में विधानसभा सत्र प्रारम्भ हो रहा होगा, मैं उपवास पर बैठूंगा। हरदा ने कहा कि वह 4 दिसम्बर को सुबह 11 बजे से गैरसैंण में सांकेतिक उपवास करेंगे।

गौरतलब है कि 2014 के बाद से गैरसैंण में हर साल सरकारें विधानसभा का एक सत्र आयोजित करती थीं लेकिन इस साल पहली बार कोई सत्र आयोजित नहीं हुआ है। 4 दिसंबर से शीतकालीन सत्र (Winter Session) होना है लेकिन यह देहरादून में आयोजित किया जा रहा है और इसी को लेकर राजनीति गर्म है। सत्र कराने को लेकर पूर्व में सीएम व विधानसभा अध्यक्ष के बीच भी मनमुटाव देखने को मिला था।


गढ़वाल और कुमाऊं के बीच में बसा पर्वतीय भू—भाग वाला गैरसैंण को लंबे समय से स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठते रही है। लेकिन जब वर्ष 2000 में राज्य का गठन हुआ तो देहरादून को अस्थाई राजधानी बना दिया गया। गैरसैंण से जनभावनाएं जुड़ी होने के कारण इस पर सियासत होती रही लेकिन कोई भी राजनीतिक दल गैरसैंण पर स्थिति स्पष्ट करने का साहस नहीं जुटा पाया।

2012 में कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा भवन की आधारशिला रख कर यहां कैबिनेट बैठक कराई। जिसके बाद बहुगुणा की यह पहल आने वाली सरकारों के लिए मजबूरी बन गई। सियासी फ़ायदे के राजनीतिक पार्टिया इसे इग्नोर नहीं कर पाए और क्रेडिट लेने की होड़ शुरू हो गई।


इधर 2014 में हरीश रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने यहां विधानसभा सत्र करा दिया और इसके बाद लगातार हर साल यहां विधानसभा का एक न एक सत्र होता रहा है। लेकिन पहली बार इस साल गैरसैंण में कोई भी सत्र आहूत नहीं किया गया। बता दे ​कि भाजपा ने 2017 के अपने चुनावी घोषणापत्र में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में विकसित करने का वायदा किया था लेकिन इन दो सालों में सरकार गैरसैंण के नाम पर कुछ ऐसा नहीं कर पाई जिसे वह अपनी उपलब्धि गिना सके।

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