क्या आपने सुना है ‘द्वाराहाट के बल्द’ का किस्सा, कैसा होता होगा ‘द्वाराहाट का बल्द’ पुष्पेश त्रिपाठी ने सोशल मीडिया में बताई है कहानी, फेसबुक पर डाला नया स्टेट्स

क्या आपने सुना है ‘द्वाराहाट के बल्द’ का किस्सा, कैसा होता होगा ‘द्वाराहाट का बल्द’ पुष्पेश त्रिपाठी ने सोशल मीडिया में बताई है कहानी, फेसबुक पर डाला नया स्टेट्स

uma devi kanta devi
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उत्तरा न्यूज डेस्क:—अल्मोड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव संपन्न हो गया है। कल तक जो चुनाव भाजपा कांग्रेस जैसी दलगल राजनीतिज्ञों के बर्चस्व का सवाल बन कर जेहन में गूंज रहा था वह परिणाम आने के तुरंत बाद एक क्षेत्र विशेष की जीत का परिचायक बन कर रह गया है।इसे किस्सागोई बनाने की कोशिश भी हो रही है।

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव परिणाम पहली बार द्वाराहाट विधानसभा क्षेत्र के पक्ष में गया है। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर विजयी दोनों उम्मीदवार द्वाराहाट विधान सभा के ही है। अध्यक्ष पद पर पूर्व विधायक मदन सिंह बिष्ट की पत्नी उमा देवी विजयी बनी हुई है तो उपाध्यक्ष पद पर यूकेडी की कांता देवी को जीत हासिल हुई है। कांता देवी भी द्वाराहाट विधानसभा की ही है।

यह पूरी बात अब उठने लगी है उसका कारण भी नेताओं द्वारा ही पैदा किया है। द्वाराहाट के पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने परिणाम के बाद सोशल मीडिया ने एक पोस्ट डाली जिसके बाद कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। इस पोस्ट का अर्थ तो पुष्पेश ही बेहतर बता सकते हैं लेकिन इस पोस्ट को लोग अब राजनीतिक स्तर से क्षेत्रवाद की पैरोकारी या किसी को खुश करने के नजरिए से देख रहे हैं।

अब बात करते हैं पुष्पेश तिवारी की पोस्ट की पोस्ट में लिखा गया है कि— ‘श्रीमती उमा बिष्ट जी एवं श्रीमती कांता रावत जी को बहुत बहुत बधाई। एक किस्सा बचपन से सुना था द्वाराहाट के बल्द का, आप सबने भी सुना होगा। आज लगा कि किस्सा नहीं सच घटना हुई होगी।’

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इस पोस्ट का पूरा अर्थ क्या होता है यह पुराने लोग बताएंगे या पुष्पेष लेकिन यह बात भी सभी जानते हैं कि चुनाव से पहले यूकेडी ने दो पत्रकार वार्ताएं की। दोनों विरोधाभाषी रहीं। कभी कांग्रेस को समर्थन देने, कभी बाहरी व्यक्ति को वोट नहीं देने तो कभी पीडीएफ बना भाजपा कांग्रेस से दूर रहने की बात भी सामने उठी। इसे सभी ने राजनीतिक रणनीति का स्तर समझा लेकिल चुनाव परिणाम के बाद की यह पोस्ट अब कई मायने बता रही है। इसे डालने वाले भी पूर्व विधायक हैं। इसलिए इस पर कई चर्चाएं हो रही हैं।

लोगों का कहना है कि क्षेत्रीय दल की पैराकारी करने वाली यूकेडी जिला पंचायत चुनावों में भी कमजोर और राजनीतिक दलों की सी टीम बन कर घूमती रही। परिणामों के बाद उसकी प्रत्याशी उपाध्यक्ष बनने में कामयाब तो रही है। लेकिन यूकेडी ने अध्यक्ष पद के चुनाव में कभी भी दमदार तरीके से अपनी बात नहीं रखी वह बेबस और भाजपा कांग्रेस की सी टीम से नजर आई। अब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के परिणामों को यूकेडी के पूर्व अध्यक्ष किस्सागोई के बहाने सार्वजनिक डिजिटल मंच पर उठा रहे हैं।