एससी एसटी एक्ट की पूर्व की शक्तियां रहेंगी बरकरार, सरकार लाएगी विधेयक

एससी एसटी एक्ट की पूर्व की शक्तियां रहेंगी बरकरार, सरकार लाएगी विधेयक सुप्रीम  कोर्ट  के फैैसले के बाद  विपक्षी दलों के निशाने पर थी सरकार…

एससी एसटी एक्ट की पूर्व की शक्तियां रहेंगी बरकरार, सरकार लाएगी विधेयक
सुप्रीम  कोर्ट  के फैैसले के बाद  विपक्षी दलों के निशाने पर थी सरकार
9 अगस्त को आहूत किया गया था राष्ट्रब्यापी आंदोलन
डेस्क-
अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे विपक्षी दलों की रणनीति पर पानी डालने के लिए सरकार ने इस कानून की शक्तियां बरकरार रखने तैयारी कर दी है|
सरकार अब अध्यादेश की बजाय संशोधन के साथ पुराने कानून को लागू करने के लिए विधेयक ला रही है। जाहिर तौर पर इसके साथ ही सरकार ने 9 अगस्त के प्रस्तावित दलित आंदोलन को भी एक प्रकार से ठंडा कर दिया है|

पिछले दिनों में विपक्ष के साथ साथ कुछ सहयोगी दलों ने भी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया था। सरकार पर सरकार दलित विरोधी होने के आरोप लग रहे थे|
यूं तो सरकार सुप्रीम कोर्ट मे पुनर्विचार याचिका पर फैसले का इंतजार करना चाहती थी लेकिन अब रणनीति बदल गई।
बताते हैं कि दलित अत्याचार निवारण कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने के मकसद से अगले सप्ताह एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 लाया जाएगा और पारित कराया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संशोधित विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है।केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने मंत्रिमंडल के फैसले की पुष्टि की है। अब संशोधन के बाद अधिनियम के अनुच्छेद 18 अब 18ए हो जाएगा, जिससे कानून के प्रावधान सख्त हो जाएंगे। यानी रपट दर्ज कराने से पहले प्राथमिक जांच कराने की जरूरत नहीं होगी। इस कानून के दायरे में आने वाले आरोपी की गिरफ्तारी के लिए किसी भी तरह के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
तीसरा, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद धारा 438 के प्रावधान निष्कि्रय हो जाएंगें। इस धारा के तहत जांच कराने के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती है। साथ ही दर्ज किए गए एफआईआर में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत का प्रावधान है। संशोधन के बाद यह धारा ही समाप्त हो जाएगी। इस कानून को अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) संशोधित कानून-2018 कहा जाएगा|