आपको भी दिख रहे हैं यह आंसू….अध्ययनदल के सामने ग्रामीणों ने सुनाई आपबीती, नहीं किया गया है नियमों का पालन,घरों व खेतों में पड़े मलबे का ​नहीं ​हुआ निस्तारण

आपको भी दिख रहे हैं यह आंसू….अध्ययनदल के सामने ग्रामीणों ने सुनाई आपबीती, नहीं किया गया है नियमों का

fact finding 1
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उत्तरा न्यूज चौखुटिया। इसी वर्ष 2 जून को खीड़ा चौखुटिया में आयी आपदा के बाद गांव का हाल , पुनर्वास की स्थिति जानने एवं रिवर ट्रेनिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर खनन कर रेता बजरी बोल्डर हटाने को लेकर ग्रामीणों की शिकायत की जांच हेतु जाने-माने मानव अधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क (human rights law network) की ओर से एक अध्ययन दल ने क्षेत्र का दौरा किया एवं सरकार से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की ।

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तीन सदस्यीय इस अध्ययन दल में सामाजिक कार्यकर्ता टाटा इंस्टिट्यूट मुंबई से पढ़ी रिसर्र्चर जया सिंह ,अभिलाषा बन्धु के साथ उच्च न्यायालय नैनीताल की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश जोशी शामिल रहे।

फैक्ट फाइंडिंग( fact finding )के लिए अध्ययन दल ने आपदा के बाद अपने घरों खेतों में पड़े मलवे का निस्तारण न होने से दुखी ग्रामीणों राजस्व एवं पुलिस के अधिकारियों कर्मचारियों से बातचीत कर तथ्यों का संकलन किया और जिला प्रशासन वह आपदा अधिकारी से उनका पक्ष भी जाना । कई ग्रामीण अपना दुखड़ा सुनाते सुनाते रो पड़े।

अध्ययन दल ने बताया कि ट्रेनिंग के नाम पर नदी से मलवा हटाने के लिये निर्धारित कानूनी प्रक्रिया एवं नियमों का पालन नहीं किया गया और जिम्मेदार अधिकारियों के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि कुल कितना कितनी रेता, बजरी बोल्डर मौके से हटाए गए। इसके लिए नियमानुसार सीसीटीवी नहीं लगाए गए । कुल कितना माल प्रभावित क्षेत्र से हटाया गया उसकी जानकारी हेतु नियमानुसार सीसीटीवी भी नहीं लगाए गए थे जो बड़ी अनियमितता है ।

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अध्ययन दल की ओर से जया सिंह ,स्निग्धा तिवारी एवं अभिलाषा ने कहा कि सरकार की आपदा राहत की नीतियों में कमी के कारण आपदा प्रभावित लोगों को जरूरत के मुताबिक राहत नहीं मिली जिसके लिए नियमों में परिवर्तन की आवश्यकता है। अध्ययन दल ने कहा कि ट्रेनिंग के नाम पर घोटाले को लेकर ग्रामीणों में असंतोष है, और उनके द्वारा गड़बड़ियों की जांच हेतु ज्ञापन जिला प्रशासन को दिया गया। जिस पर प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। अध्ययन दल ने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच आवश्यक है, ताकि नियमों को ताक में रखकर किए गए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की सही तस्वीर सामने आ सके।

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