पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव: बीजेपी के लिए राहत भरी है मयूख की ना!

इन्कार से जीत-हार के समीकरण,संभावनाएं बदलेंगी पिथौरागढ़। आगामी 25 नवंबर को होने जा रहे पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के प्रबल दावेदार माने जा रहे…

mayukh mahar


इन्कार से जीत-हार के समीकरण,संभावनाएं बदलेंगी


पिथौरागढ़। आगामी 25 नवंबर को होने जा रहे पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व विधायक मयूख महर का चुनाव लड़ने से इन्कार करना जहां बीजेपी के लिए राहत भरी खबर है, वहीं कांग्रेस के लिए यह तगड़ा झटका है। इसके साथ ही विधानसभा क्षेत्र के उन लोगों के लिए भी यह निराशाजनक है, जो इस उपचुनाव में मयूख महर का समर्थन करना चाहते हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि इस उपचुनाव में मयूख के जीतने की प्रबल संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन उनके इन्कार से इन संभावनाओं का गणित भी उलट-पुलट जाएगा यह लगभग तय है। यह भी दिलचस्प है कि कुछ रोज पूर्व तक मयूख महर ने अनौपचारिक बातचीतों के दौरान अपने चुनाव मैदान में उतरने की संभावनाएं व्यक्त की थीं और प्रदेश नेतृत्व से निर्णय लेने के लिए दो-तीन दिन का समय भी मांगा था। मगर एकाएक चीजें अब बदल गईं हैं। लोग अपने-अपने तरह से उनके इस निर्णय की व्याख्या कर रहे हैं। इन बदले हालातें में अब कांग्रेस के संभावित दावेदारों में से कौन चुनाव लड़ेगा और उसके सहारे कांग्रेस अपनी साख बचा पाएगी या नहीं यह देखना भी दिलचस्प होगा।


मयूख महर का चुनाव न लड़ना बीजेपी के लिए इसलिए राहत भरी खबर है क्योंकि वर्ष 2017 के चुनाव में प्रदेश में बीजेपी प्रचंड बहुमत से जीतने के बावजूद पिथौरागढ़ सीट से पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. प्रकाश पंत बहुत कम अंतर से जीत दर्ज कर सके थे। मयूख महर उस चुनाव में 4.1 फीसद वोटों के अंतर से पीछे रह गए थे। विधानसभा क्षेत्र में अनेकों लोग आज भी उस चुनाव में मयूख की हार का मलाल रखते हैं और उनके कार्यकाल के दौरान हुए कामों तथा वर्ष 2017 में उनके पराजित होने के बाद के विकास कार्यों के अंतर पर चर्चा भी करते हैं। मयूख का चुनाव न लड़ना बीजेपी के लिए इसलिए भी राहत भरा कदम है क्योंकि वह भी जानती है कि पिथौरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में मयूख महर कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेताओं में हैं। चुनावी रणनीति, विरोधी खेमों में सेंध लगाना और धनबल आदि के हिसाब से भी वह मजबूत स्थिति में हैं।
सूत्रों के अनुसार बीजेपी के रणनीतिकार भी मान रहे थे कि प्रकाश पंत के निधन बाद इस सीट पर मयूख महर को शिकस्त देना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। शायद इन्हीं स्थितियों में स्व. प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को चुनाव मैदान में उतारना बीजेपी को सबसे उचित जान पडा है। संगठन की मजबूती, अन्य समीकरण पक्ष में देखने के साथ साथ बीजेपी चंद्रा पंत के सहारे मतदाताओं की सहानुभूति मिलने पर भी विश्वास कर रही है। अब मयूख महर के कदम पीछे खींचने से बीजेपी के लिए ये सब स्थितियां और ज्यादा अनुकूल जान पड़ती हैं।

पिथौरागढ़ उपचुनाव में बीजेपी के मुकाबले अब कौन होगा कांग्रेस का चेहरा इस पर टिकी निगाहें

अब देखना यह है कि बीजेपी की मजबूत संभावित दावेदार चंद्रा पंत के मुकाबले कांग्रेस का कौन उम्मीदवार उनको टक्कर देने के लिए सामने आता है। मयूख महर ने जहां स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है, वहीं पूर्व राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह माहरा भी उप चुनाव में हाथ आजमाने से इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि काफी समय से लोगों के बीच सक्रिय राजनीति से उनका लिंक टूटा हुआ है। ऐसे में उनका आगे आना उचित नहीं है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी की संभावना प्रबल जान पड़ रही है और वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार भी हैं। काफी समय से उनका पिथौरागढ़ में लोगों के बीच आना-जाना बना हुआ है। यानि वह काफी समय से अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। बहरहाल अभी यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस की तरफ से इस उपचुनाव में आधिकारिक प्रत्याशी कौन होगा। अनुमानों में जीत-हार का गणित तो उसके बाद ही कुछ स्पष्ट होगा।