अच्छी खबर— जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में खिला कश्मीर का केसर,दूसरे साल भी हुआ सफल उत्पादन

Good News – GB Pant Environment Institute, Khasar of Kashmir, successful production in second year also

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उत्तरा न्यूज अल्मोड़ा। अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में दुनिया के विभिन्न भागों में केसर दिवस व महोत्सव आयोजित किए जाते हैं। दूसरे वर्ष भी केसर के सफल उत्पादन पर गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान में भी उत्साह का महौल है।

संस्थान में राष्ट्रीय हिमालीय अध्ययन मिशन(National Himalayan Studies Mission) नोडल कार्यालय परिसर में तीन स्थानों पर केसर के पुष्पों (Saffron flowers)का सफलतापूर्वक उत्पादन हुआ है। ज्ञात हो कि बीते वर्ष करगिल लेह क्षेत्र के मिशन की एक परियोजना के तहत प्रायोगिक रूप से यहां कुछ मात्रा में केसर बीज (बल्ब) लाए गए थे। संस्थान में अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न मृदा व परिस्थितियों में उक्त बीज का उगाया गया।प्रथम वर्ष में केसर के पुष्पों का सफलता पूर्वक उत्पादन हुआ। प्रायःदेखा जाता है कि दूसरे वर्ष यह बीज सफलतापूर्वक नहीं उग पाता है।

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इस बार यहां केसर दूसरे वर्ष सफलतापूर्व और अधिक मात्रा में खिल रहा है। प्रायोगिक तौर पर जनपद के लमगड़ा क्षेत्र में भी इसको उगाकर देखा गया वहां भी दूसरे वर्ष केसर का सफल उत्पादन हो रहा है।
बताया जा रहा है कि बीते वर्ष की तुलना में इसके बीज व पुष्पों में दो से तीन गुनी वृद्धि देखी जा रही है। कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय के परियोजना प्रमुख डाॅ एमएच खान के मार्गदर्शन में उगाए गए केसर के उत्पादन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन(
National Himalayan Study Mission) के नोडल अधिकारी इंजीनियर किरीट कुमार ने बताया कि बीते वर्ष करगिल से उक्त बीजों को लाया गया। केसर शोध संस्थान कश्मीर द्वारा तैयार किया गया यह उच्च कोटी का केसर है।

यहां उगाए गए केसर का रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अलग अलग भू-भाग में उगाने से केसर के रासायनिक गुणों(Chemical Properties of Saffron) में कितना अंतर आता है। संस्थान के इस प्रयोग से यह तो साफ हो गया है कि उत्तराखण्ड में बड़ी आसानी के केसर को उगाया जा सकता है। संस्थान ने आने वाले दिनों में विभिन्न क्षेत्रों के चयनित किसानों को इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है जिसके तहत प्रायोगिक तौर पर उन्हें केसर के बल्ब उपलब्ध कराए जाएंगंे। ज्ञात हो कि वर्तमान में अफगानिस्तान, ईरान सहित भारत के कश्मीर में केसर का उत्पादन होता है लेकिन कश्मीर क्षेत्र के केसर को दुनिया में उत्कृष्ट श्रेणी का माना जाता है। जलवायु परिवर्तन(Climate change) के कारण उस घाटी में भी केसर का उत्पादन प्रभावित हो रहा है जिसपर समय समय पर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है। वर्तमान में बाजार में कश्मीरी केसर 1 लाख 20 हजार रुपया प्रतिकिलो से अधिक कीमत पर बिक रहा है।