दुग्ध समितियों का नामांकन शुल्क बढ़ाए जाने पर सदस्य नाराज

अल्मोड़ा| दुग्ध संघ अल्मोड़ा के पूर्व प्रबंध कमेटी सदस्य ब्रह्मानंद डालाकोटी ने कहा कि प्रारंभिक दुग्ध समितियों के निर्वाचन हेतु नामांकन शुल्क में अत्यधिक बढ़ोत्तरी…

अल्मोड़ा| दुग्ध संघ अल्मोड़ा के पूर्व प्रबंध कमेटी सदस्य ब्रह्मानंद डालाकोटी ने कहा कि प्रारंभिक दुग्ध समितियों के निर्वाचन हेतु नामांकन शुल्क में अत्यधिक बढ़ोत्तरी कर दिये जाने से प्रतीत होता है कि देहरादून में बैठे नीति नियंताओं को या तो पर्वतीय क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति का भान नहीं है या फिर वे दुग्ध समितियों में चुनाव कराना नहीं चाहते हैं| उन्होंने अपने बयान में कहा कि प्रबंध कमेटी सदस्य हेतु नामांकन शुल्क एक सौ रूपये से बढ़ाकर पांच सौ रूपये, अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद हेतु एक सौ से बढ़ाकर एक हजार रूपये कर दिया गया है यदि कोई दुग्ध उत्पादक समिति का अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनना चाहता है तो उसे एक हजार पांच सौ रूपये नामांकन शुल्क के रूप में खर्च करने होंगे यह खर्च उसके लगभग पूरे माह में बेचे गये दूध से मिली कीमत से भी अधिक होगा| जबकि इन पदों के लिए कोई मानदेय व लाभ उसे कहीं से प्राप्त नहीं होगा| कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में एक ही दुधारु पशु पालने की परंपरा व स्थिति होती है अगले वर्ष वह दूध निर्धारित मात्रा में समिति में नहीं दे पाया तो उसे पदच्युत होना पड़ेगा ऐसी स्थिति में समिति में अपना धन खर्च कर इन पदों पर कोई क्यों बैठना चाहेगा केवल चुनावी राजनीति करने वाले लोगों के अलावा ।यही स्थिति रही तो अनेक समितियों में नामांकन भी नहीं हो पायेंगे खुद समितियों द्वारा ऐसे महंगे चुनाव का बहिस्कार किया जाना चाहिए क्यों कि चुनाव हेतु समिति को भी चुनाव एक हजार का अंशदान देना होगा जो पहले पांच सौ रूपये था इस प्रकार यदि कोई समिति विधिवत चुनाव प्रक्रिया कराना चाहती है तो सद्स्यों, अध्यक्ष,उपाध्यक्ष , प्रतिनिधि,समिति अंशदान सहित सात हजार सात सौ रूपये गरीब दुग्ध उत्पादकों की जेब से निकाले जायेंगे जब कि अनेक समितियों का मासिक भुगतान भी इतना नहीं बनता है इसलिए सरकार को चाहिए कि अबिलंब नामांकन शुल्क में की गयी बढ़ोतरी वापस लेने के आदेश उत्तराखंड सहकारी समितियां निर्वाचन प्राधिकरण को दे ।