स्मृति शेष: जब उत्तराखंड की शिक्षिका का केस मुफ्त में लड़ने को तैयार हो गये थे दिग्गज अधिवक्ता राम जेठमलानी

डेस्क। देश के महंगे वकीलों में शुमार व पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी की वैसे तो उत्तराखंड से जुड़ी कई यादें है लेकिन प्रदेश का…

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डेस्क। देश के महंगे वकीलों में शुमार व पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी की वैसे तो उत्तराखंड से जुड़ी कई यादें है लेकिन प्रदेश का ही एक ऐसा बहुचर्चित मामला जिसमें जेठमलानी द्वारा लिये गये फैसले ने देशभर के लोगों को हैरत में डाल दिया था।
मामला बीते वर्ष का है। उत्तरकाशी के एक प्राइमरी स्कूल में तैनात महिला शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा सीएम आवास में लगे जनता दरबार में फरियाद लेकर पहुंची। सालों से सिस्टम की मार झेल रही शिक्षिका उत्तरा ने जब सीएम के सामने तीखी आवाज में अपनी बात रखी तो सीएम ने उन्हें निलंबित करने की चेतावनी दे डाली। इससे शिक्षिका का आक्रोश और बड़ गया और सीएम को कई आपत्तिजनक शब्द कह डाले। जिसके बाद इस मामले ने प्रदेश के साथ—साथ देशभर में तूल पकड़ लिया। कई लोग शिक्षिका के समर्थन में आ गये थे। लोगों ने इसे सीएम की तानाशाही तक करार दे डाला था। शिक्षिका ने उसके साथ न्याय नहीं होने पर कोर्ट की शरण लेने की बात कही थी। उस दौरान यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील राम जेठमलानी के संज्ञान में आया तो उन्होंने शिक्षिका की पीड़ा को देखते हुए यह केस मुफ्त में लड़ने का फैसला लिया। एक केस लड़ने की कम से कम 25 लाख फीस लेने वाले वकील के इस फैसले ने लोगों को हैरत में डाल दिया। अधिकांश लोगों ने इसे मानवता की मिशाल बताते हुए इस फैसले
को जमकर सराहा। हालांकि शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा की ओर से कोर्ट में केश नहीं किया गया।