पहाड़ी हैं,पहाड़ जैसा जज्बा रखते हैं…

दो बार माउंट एवरेस्ट, एक बार माउंट कंचनजंघा को फतह करने के बाद 6512 मीटर ऊँची हिम चोटी माउंट द्वितीय भागीरथी को फतह करके लौटे…

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दो बार माउंट एवरेस्ट, एक बार माउंट कंचनजंघा को फतह करने के बाद 6512 मीटर ऊँची हिम चोटी माउंट द्वितीय भागीरथी को फतह करके लौटे हैं नौकोड़ी कपकोट के केदार कोरंगा ……

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बचपन से ही पहाड़ों को अपने पहाड़ जैसे जज्बे से मात देने वाले और देवभूमि की शान बन चुके कपकोट के नौकोड़ी गाँव निवासी और बीएसएफ में कार्यरत केदार सिंह कोरंगा दो बार विश्व की सबसे ऊँची हिम चोटी माउंट एवरेस्ट और एक बार माउंट कंचनजंघा को सफलता के साथ फतह करने के बाद अब 6512 मीटर की ऊँची हिम चोटी माउंट द्वितीय भागीरथी को फतह करने के बाद वापस लौटे हैं. केदार कोरंगा की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर समूचा जनपद हर्षित है और उनको बधाई देने के साथ ही आगामी भविष्य की उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं दे रहा है.साहसिक खेलों से जुड़े और उससे ख़ासा लगाव रखने वाले युवाओं के लिए केदार कोरंगा एक आदर्श मिसाल साबित हुवे हैं और यकीनन उनकी इन उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर युवा वर्ग एक नए जोश के साथ साहसिक पर्यटन में भागीदारी करेंगे. केदार कोरंगा का यहाँ पहुँचने पर आम जनता और विभिन्न संगठनों द्वारा स्वागत किया गया और मुक्तकंठ से उनकी सराहना की गयी. बचपन से ही प्रकृति प्रेमी रहे केदार को पहाड़ से गहरा लगाव है और वो चाहते हैं कि यहाँ के अन्य युवा भी साहसिक खेलों में दिलचस्पी लेकर उसमें प्रतिभाग करें और एक नया मुकाम हासिल करें. साहस के धनी केदार बचपन से ही पहाड़ों पर चढ़कर उनको फतह करने की लालसा रखते थे और उनकी यही लालसा आज उनको इस मुकाम तक लाई है. उनका कहना है कि पहाड़ों में युवा प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है तो पूरी गंभीरता के साथ इसमें प्रतिभाग करने की और एक नया मुकाम हासिल करने हेतु सपने देखने की. वो कहते हैं कि उत्तराखण्ड में सैकड़ों स्थानों में साहसिक खेलों के आयोजन आदि की भरपूर संभावनाएं मौजूद हैं और विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों से प्रशिक्षण लेकर , युवा वर्ग इन साहसिक खेलों को रोजगार का साधन भी बना सकता है. जिससे पलायन में भी कहीं न कहीं कमी अवश्य आएगी. यकीनन केदार कोरंगा की अब तक की तमाम उपलब्धियां यहाँ के युवा वर्ग के लिए एक आदर्श मिसाल और प्रेरणा है

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