दीवारें गिरती रहीं, सपने टूटते रहे – बेबस मां-बाप गोद में बच्चों को लिए दर-दर भटकने को मजबूर

रोडवेज बस स्टेशन पर निर्माणाधीन आईएसबीटी टर्मिनल के कार्य में बाधा बन रहे अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। रोडवेज…

Walls kept falling, dreams kept breaking – helpless parents were forced to wander from door to door with children in their arms

रोडवेज बस स्टेशन पर निर्माणाधीन आईएसबीटी टर्मिनल के कार्य में बाधा बन रहे अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। रोडवेज डिपो के फोरमैन आवास पर वर्षों से अवैध रूप से कब्जा जमाए अतिक्रमणकारियों को हटाने का अभियान चलाया गया, जिसमें पांच पक्के भवनों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान छह परिवारों को स्वयं भवन खाली करने पर उनके सामान निकालने के लिए मोहलत दी गई।

उत्तराखंड परिवहन निगम के सहायक महाप्रबंधक केएस राणा ने तीन मार्च को इन अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया था, जिसमें 18 मार्च तक स्वयं अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था। निर्धारित समयसीमा बीतने के बावजूद जब परिवारों ने अपने घर खाली नहीं किए, तो मंगलवार को निगम के जीएम पवन मेहरा, डीजीएम तकनीकी भूपेश कुशवाहा, टीकाराम, आरएम पूजा जोशी और भूमि भवन देहरादून के अभियंता पीके दीक्षित की टीम भारी पुलिस बल के साथ फोरमैन आवास पहुंची।

तहसीलदार दिनेश कुटौला और कोतवाल मनोज रतूड़ी के नेतृत्व में प्रशासनिक अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की, जिससे वहां रहने वाले परिवारों में हड़कंप मच गया।

अभियान के दौरान जैसे ही प्रशासन ने दीवारों पर हथौड़े चलाने के आदेश दिए, महिलाएं सहम गईं और घरों में सोए बच्चे रोने लगे। कई लोग अपने परिवार के सदस्यों और सामान को लेकर सुरक्षित स्थान पर जाने की जल्दी में दिखे। कुछ परिवारों ने अचानक हुई इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई और प्रशासन से विस्थापन की मांग की। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि उनके घर तोड़ दिए जाएंगे, तो वे रहने के लिए कहां जाएंगे। इससे पहले भी स्थानीय व्यापारी मेयर को ज्ञापन देकर विस्थापन की मांग कर चुके हैं।

सहायक महाप्रबंधक राणा ने बताया कि अतिक्रमणकारियों द्वारा न्यायालय में दायर वाद को खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें 15 दिनों के भीतर फोरमैन आवास खाली करने के निर्देश दिए गए थे। अब जब न्यायालय का निर्णय निगम के पक्ष में आया है, तो आईएसबीटी टर्मिनल का निर्माण कार्य दोबारा शुरू किया जाएगा और किसी भी हाल में अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।

इसके अलावा, लोक निर्माण विभाग ने भी 47 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर स्वयं अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं। इससे प्रभावित परिवारों में दहशत का माहौल है। जैसे ही प्रशासन की टीम ने दीवारों पर हथौड़े चलाने शुरू किए, घरों में चीख-पुकार मच गई।

महिलाएं अधिकारियों के सामने हाथ जोड़ने लगीं और कुछ परिवार अपने बच्चों को गोद में उठाकर सुरक्षित स्थान की ओर भागते दिखे। तहसीलदार ने स्थिति को देखते हुए कर्मचारियों को आदेश दिया कि जब तक सामान पूरी तरह से बाहर न निकाल लिया जाए, तब तक दीवारों को न गिराया जाए। इसके बाद लोग थोड़े शांत हुए और जल्द से जल्द अपना सामान निकालने में जुट गए।

आईएसबीटी टर्मिनल के निर्माण के लिए प्रशासन का यह सख्त कदम अतिक्रमण हटाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, प्रभावित परिवार विस्थापन की मांग कर रहे हैं और इस मुद्दे पर आगे प्रशासन की क्या प्रतिक्रिया होगी, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

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