सोचिए अगर कोई ऐसा डेली रूटीन मिल जाए जो बच्चों को सफल होने के लिए तैयार करें और उनकी तरक्की में सहयोग करें तो ऐसा सीक्रेट हर कोई जानना चाहेगा।
9:5:2 का फॉर्मूला यही बताता है -9 घंटे की नींद, 5 घंटे खुद से पढ़ाई और 2 घंटे बाहर खेलना।
यह तरीका बच्चों को कामयाबी के लिए तैयार करता है। इस सीक्रेट से बच्चे फिजिकली रूप से एक्टिव भी रह सकते हैं और भावात्मक रूप से बैलेंस भी रहेंगे।
9 घंटे की नींद:
तेज दिमाग के लिए अच्छी नींद होना भी बेहद जरूरी है। बच्चों के विकास और कामकाजी जीवन के लिए नींद लेना जरूरी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि 6 से 12 साल के बच्चों में दिमागी विकास तेजी से होता है इसलिए उन्हें 9 से 12 घंटे नींद लेने की सलाह दी जाती है। पर्याप्त नींद कंसंट्रेशन और प्रॉबलम सॉल्विंग की क्षमता को बढ़ाती है, जिससे बच्चे नई ऊर्जा के साथ सीखने के लिए तैयार होते हैं।
5 घंटे सेल्फ स्टडी:
क्लास में पढ़ाई के अलावा सेल्फ स्टडी बच्चों को अपने विषयों को समझना और मजबूत बनाने के लिए मदद करती है। 5 घंटे की खुद की पढ़ाई बच्चों की सोने की क्षमता और आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है। यह बच्चों को अपनी शिक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए इंस्पायर करती है, जिससे पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन होता है।
2 घंटे की फिजिकल एक्टिविटीज
रोजाना कम से कम 2 घंटे बाहरी एक्टिविटीज में शामिल होने से बच्चे एक्टिव रहते हैं, तनाव कम होता है और ध्यान बढ़ता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। साइकिल चलाना, दौड़ना या टीम खेल जैसी एक्टिविटीज मोटर स्किल, क्रिएटिविटी और टीम वर्क में सुधार करती हैं, जो ओवरऑल डेवलपमेंट में योगदान करती हैं और पढ़ाई के प्रयासों को पूरा करती हैं।
पढ़ाई पर ज्यादा जोर देने से थकान और प्रेरणा में कमी आ सकती है। 9:5:2 का फॉर्मूला एक बैलेंस लाइफस्टाइल की तरफ एक कदम है, जिसमें पढ़ाई, आराम और खेल को शामिल किया जाता है ताकि प्रॉडक्टिविटी और हैप्पीनेस बढ़ सके। यह ओवरऑल अप्रोच बच्चों को चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए तैयार करती है, जिससे उन्हें लगातार सफलता की नींव मिलती है।