मौसम के बदलाव से वायरल फीवर के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है। बुखार, जुखाम, खांसी, मांसपेशियों में दर्द की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। खुद डॉक्टर भी एंटीबायोटिक दवा लेने से मना कर रहे हैं, क्योंकि इससे मर्ज और बिगड़ रहा है।
डॉक्टरों का कहना है कि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो रही है और बीमारी ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है। डॉक्टर का कहना है कि ऐसे मौसम में वायरस सक्रिय हो जाते हैं। ओपीडी में भी डेढ़ गुना मरीज बढ़ गए हैं। रोजाना 700 से अधिक मरीज आ रहे हैं जिनके बुखार, सिर दर्द, हाथ पैरों और मांसपेशियों में दर्द कमजोरी और सुस्ती की शिकायत है। अस्थमा के मरीज सांस लेने में दिक्कत, सीने में भारीपन बता रहे हैं।
कई ऐसे भी मरीज हैं, जिन्होंने खुद ही मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक दवा खरीद कर खा ली। इससे दवाओं के रेजिस्टेंट होने का खतरा होता है। इससे वायरल बुखार को ठीक होने में भी 7-10 दिन का समय लग रहा है। शुरूआत में पैरासिटामॉल ले सकते हैं, इससे आराम न मिलने पर विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाएं।
बच्चों की दिक्कत बढ़ी
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डॉ. संजीव अग्रवाल ने बताया कि बच्चे वायरल निमोनिया के शिकार हो रहे हैं। उन्हें तेज बुखार आ रहा है निमोनिया होने से फेफड़ों में संक्रमण बढ़ जाता है। बच्चों में उल्टी, दस्त की परेशानी देखने को मिल रही है ऐसे में अभिभावक बिना परामर्श के दवाई कतई ना दें।
इन बातों का रखें ध्यान
- बच्चों को अभी कोल्डड्रिंक-आइसक्रीम से बचाएं।
- घर में रखी दवाएं और सिरप को बिना परामर्श न दें।
- बच्चों को खिलाने-पिलाने से पहले हाथों को साफ करें।
- जुकाम-खांसी के मरीज मास्क लगाएं, खांसते वक्त रुमाल लगाएं।
- बच्चों को बुखार-खांसी है तो उसे स्कूल भेजने से बचें।
- बुखार आने पर पैरासिटामॉल लें, आराम न मिलने पर डॉक्टर को दिखाएं।
- वयस्क मरीज गर्म पानी की भाप लें, नमक डालकर गरारे कर सकते हैं।
- बिना डॉक्टरी परामर्श के एंटीबायोटिक दवाएं न लें।