प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध बागेश्वर धाम पहुंचे, जहां उन्होंने कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर का डिजिटल शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वीरों की भूमि बुंदेलखंड में उन्हें दूसरी बार आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और इस बार यह हनुमान जी की विशेष कृपा है कि आस्था का यह केंद्र अब आरोग्य का केंद्र भी बनने जा रहा है।
पीएम मोदी ने बताया कि बागेश्वर धाम में बनने वाला यह कैंसर चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान 10 एकड़ में फैला होगा और पहले चरण में इसमें 100 बेड की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के माध्यम से लोगों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी, जिससे न केवल बुंदेलखंड बल्कि पूरे क्षेत्र के कैंसर मरीजों को लाभ होगा।
अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री जब मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मां से मिलने की इच्छा जताई। मुलाकात के दौरान हंसी-मजाक का माहौल बना, जब पीएम मोदी ने मजाकिया लहजे में कहा कि उनके पास पहले ही धीरेंद्र शास्त्री की मां की “पर्ची” है, जिसमें लिखा है कि वे अपने बेटे की शादी करवाना चाहती हैं। इस पर वहां मौजूद सभी लोग हंस पड़े। धीरेंद्र शास्त्री खुद भी कई बार कह चुके हैं कि उनकी मां उनकी शादी को लेकर चिंतित रहती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे लंबे समय से देश में एकता का संदेश फैला रहे हैं और अब उन्होंने समाज व मानवता की सेवा के लिए एक और महत्वपूर्ण पहल की है। इस कैंसर संस्थान की स्थापना से लोगों को न केवल आध्यात्मिक बल्कि स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब बागेश्वर धाम में श्रद्धालुओं को भजन, भोजन और निरोगी जीवन तीनों का आशीर्वाद मिलेगा।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने उन लोगों पर निशाना साधा जो धर्म और आस्था का उपहास उड़ाते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज को बांटने और धर्म को कमजोर करने की कोशिश में लगे रहते हैं। कई बार विदेशी ताकतें भी इसमें उनका साथ देती हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू आस्था से नफरत करने वाले लोग सदियों से अलग-अलग रूप में सक्रिय रहे हैं और आज भी वे हमारी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं पर हमला करते रहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति स्वभाव से ही प्रगतिशील है और इसे कमजोर करने की कोशिश करने वालों के मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे।