मुण्डेश्वर महादेव मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव: शिव पार्वती की नई मूर्ति की स्थापना 24 से 26 फरवरी तक

पिठौनी:: सुवाल और बिनसर नदियों के संगम पर स्थित पौराणिक मुण्डेश्वर महादेव मंदिर (शिवालय) में शिव पार्वती की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन…

पिठौनी:: सुवाल और बिनसर नदियों के संगम पर स्थित पौराणिक मुण्डेश्वर महादेव मंदिर (शिवालय) में शिव पार्वती की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन 24 फरवरी (सोमवार) से 26 फरवरी (बुधवार) 2025 तक होने जा रहा है। मंदिर में पूर्व में स्थापित खंडित मूर्ति के स्थान पर नई मूर्ति की स्थापना की जाएगी। इस शुभ अवसर पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

आयोजन की मुख्य विशेषताएँ:

मंदिर समिति और क्षेत्रवासियों के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस महोत्सव में श्रद्धालुओं के लिए तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम तय किए गए हैं—

24 फरवरी 2025 (सोमवार, 13 गते फाल्गुन):

कलश यात्रा: प्रातः 10:00 बजे ग्राम सिरौनियाँ के देवी मंदिर से प्रारंभ होकर मुण्डेश्वर महादेव मंदिर (शिवालय), पिठौनी पहुंचेगी। क्षेत्र के भक्तगण कलश यात्रा में भाग लेंगे और श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे।

25 फरवरी 2025 (मंगलवार, 14 गते फाल्गुन):

नित्य पूजा एवं आरती: प्रातः 08:00 बजे से 10:00 बजे तक।

सुंदरकांड पाठ: सायं 04:00 बजे से आयोजित किया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु भगवान शिव एवं श्रीराम की भक्ति में लीन होंगे।

26 फरवरी 2025 (बुधवार, 15 गते फाल्गुन):

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह: शुभ मुहूर्तानुसार मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित कर प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।

विशाल भंडारा: समस्त श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन होगा।

समुदाय का आह्वानमुण्डेश्वर महादेव मंदिर की प्राचीनता और धार्मिक महत्व को देखते हुए यह आयोजन पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अवसर है। पिठौनी, बिरौड़ा, ठाणा-मठेना, सिरौनिया, भटखोला, पुतरा, गौना, धनियान, डुंगरी, संन्याड़ी, वड्यूड़ा, सिराड़, बज्योली, कुंज बरगल सहित समस्त क्षेत्रवासियों ने इस आयोजन को भव्य रूप देने के लिए विशेष तैयारियाँ की हैं।

आयोजन समिति ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लें और पुण्य लाभ अर्जित करें। भगवान शिव की कृपा से यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करेगा, बल्कि क्षेत्रीय एकता और समर्पण की भावना को भी बल देगा।

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