अल्मोड़ा:: राजकीय प्राथमिक विद्यालय मटीलाधूरा में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

मटीलाधूरा, ताड़ीखेत: अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय मटीलाधूरा, विकासखंड ताड़ीखेत में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। विद्यालय ने इस दिवस को…



मटीलाधूरा, ताड़ीखेत: अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय मटीलाधूरा, विकासखंड ताड़ीखेत में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। विद्यालय ने इस दिवस को विशेष बनाने के लिए कुमाऊनी भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार पर केंद्रित विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित कीं। छात्रों ने कुमाऊनी भाषा में संवाद, कविता, कहानी लेखन, चित्रकारी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त किया।

कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने ‘फसक’ (गप्पशप) सत्र में भाग लिया, जहाँ उन्होंने कुमाऊनी भाषा में रोचक चर्चाएँ कीं और अपनी परंपराओं को साझा किया। इसके अलावा, काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने कुमाऊनी भाषा में कविताएँ और कहानियाँ प्रस्तुत कीं। छात्रों की रचनात्मक अभिव्यक्ति को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए लेखन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रदर्शनी, दीवार पत्रिका का प्रकाशन और स्थानीय बाल अखबार ‘मटीला जागरण’ का विमोचन भी किया गया।

विद्यालय में आयोजित इन कार्यक्रमों में छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों और अभिभावकों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। शिक्षक भास्कर जोशी ने इस अवसर पर कहा, “इस प्रकार के आयोजनों से न केवल छात्रों की अभिव्यक्ति क्षमता और संप्रेषण कौशल में वृद्धि होती है, बल्कि वे अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक विरासत के प्रति अधिक जागरूक और गर्वान्वित महसूस करते हैं।”

विद्यालय के प्रधानाध्यापक और अन्य शिक्षकों ने भी इस प्रयास को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण से नई पीढ़ी में आत्मसम्मान और सांस्कृतिक पहचान की भावना विकसित होती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह हमारी परंपराओं, मूल्यों और समाज की आत्मा को भी संजोकर रखती है।

इस अवसर पर अभिभावकों ने भी विद्यालय के प्रयासों की सराहना की और इस तरह के आयोजनों को जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना है कि इस प्रकार की गतिविधियों से छात्रों का समग्र शैक्षिक विकास होता है और वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं।

कार्यक्रम के अंत में छात्रों द्वारा पारंपरिक लोकगीतों और नृत्यों की शानदार प्रस्तुति दी गई, जिसने पूरे माहौल को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया। इस उत्सव ने न केवल मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि स्थानीय भाषा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में अपनी छाप छोड़ी।

विद्यालय प्रशासन ने भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन करने का संकल्प लिया, जिससे मातृभाषा के प्रति जागरूकता बढ़े और आने वाली पीढ़ियाँ अपनी संस्कृति और परंपराओं को सहेजते हुए आगे बढ़ें।

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