बसोली एवं ताकुला न्याय पंचायत क्षेत्र में 21वीं पशुधन गणना जोरों पर, पशु संख्या में गिरावट की संभावना

21st livestock census is in full swing in Basoli and Takula Nyaya Panchayat area, possibility of decline in livestock population ताकुला, अल्मोड़ा: बसोली एवं ताकुला…

21st livestock census is in full swing in Basoli and Takula Nyaya Panchayat area, possibility of decline in livestock population

ताकुला, अल्मोड़ा: बसोली एवं ताकुला न्याय पंचायत क्षेत्र में 21वीं पशुधन गणना का कार्य तेजी से जारी है। पशुपालन विभाग के कर्मी घर-घर जाकर ऑनलाइन माध्यम से पशुधन की गणना कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को ताकुला विकासखंड के दूरस्थ गांव रिसाल में भी पशुधन की गणना की गई।

पशु प्रसार अधिकारी देवेंद्र सिंह रौतेला ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक इस क्षेत्र के लगभग 90% गांवों में पशुगणना का कार्य पूरा किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों के दौरान पशु संख्या में हुए बदलाव का सही आकलन गणना के पूर्ण होने के बाद ही किया जा सकेगा, लेकिन प्रारंभिक संकेतों के अनुसार गौवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं की संख्या में कमी आने की संभावना जताई जा रही है।

पशु संख्या में कमी के संभावित कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं—

  • चारागाह की कमी: जंगलों की कटाई और खेती की बदलती पद्धतियों के कारण पशुओं के लिए चरने योग्य भूमि कम हो रही है।
  • पशुपालन में घटती रुचि: नए रोजगार विकल्पों की ओर झुकाव और शहरीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन का महत्व कम हो रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन: बदलते मौसम और जल स्रोतों में कमी से पशुपालन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
  • सरकारी योजनाओं की सीमित जानकारी: कई किसान पशुपालन से जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी के अभाव में उनका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

पशुधन गणना के ये आंकड़े भविष्य में पशुपालन को बढ़ावा देने और नई योजनाएं लागू करने में मददगार साबित होंगे। अधिकारी देवेंद्र सिंह रौतेला का कहना है कि इस बार की पशुगणना के परिणामों का विश्लेषण करने के बाद, सरकार द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि गौवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं की संख्या में हो रही गिरावट को रोका जा सके

गौरतलब है कि पशुधन गणना हर पांच साल में की जाती है, और इसका उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि देश और राज्यों में पशुपालन की स्थिति कैसी है। इससे कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, दुग्ध उत्पादन और पशुधन से जुड़े अन्य व्यावसायिक कार्यों की योजना बनाने में मदद मिलती है