Gangotri National Park में स्नो लेपर्ड के आहार को खतरा, आवारा कुत्तों को नेचुरल करने की योजना

Gangotri National Park: गंगोत्री नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड के आहार को खतरे में डाल रहे आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर, इन कुत्तों…

Gangotri National Park में स्नो लेपर्ड के आहार को खतरा, आवारा कुत्तों को नेचुरल करने की योजना

Gangotri National Park: गंगोत्री नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड के आहार को खतरे में डाल रहे आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर, इन कुत्तों को नेचुरल करने (नपुंसक करने) का निर्णय लिया गया है। यह कुत्ते झुंड बनाकर लाल लोमड़ी, घुराड़, भाल, काकड़ जैसे जानवरों का शिकार कर रहे हैं, जो स्नो लेपर्ड का मुख्य आहार हैं। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी पार्क क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने को लेकर चिंता जताई थी और इसके समाधान के लिए सुझाव दिया था।

गंगोत्री नेशनल पार्क, जो हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में स्थित है, दुर्लभ जंगली प्रजाति स्नो लेपर्ड का घर माना जाता है। इस पार्क के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्नो लेपर्ड का मुख्य आहार bharal (हिमालयी भालू), काकड़ और अन्य छोटे जीव होते हैं। लेकिन कुत्तों की बढ़ती संख्या के कारण इन जानवरों के शिकार पर लगातार खतरा मंडरा रहा है, जिससे स्नो लेपर्ड को अपने आहार की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

आवारा कुत्तों का शिकार करने का तरीका

आवारा कुत्ते अक्सर ऊंची पर्वतीय इलाकों में मवेशियों के साथ आते हैं, जिन्हें स्थानीय चरवाहे अपने साथ लेकर आते हैं। इन कुत्तों का झुंड फौज, आईटीबीपी और बीआरओ कैम्पों के आसपास भोजन की तलाश में रुका करता है। इसके बाद ये कुत्ते झुंड बनाकर घुराड़, लाल लोमड़ी और अन्य छोटे जानवरों का शिकार करते हैं। इन कुत्तों के बढ़ने से स्नो लेपर्ड के भोजन की आपूर्ति पर सीधा असर पड़ रहा है, क्योंकि इन जंगली जानवरों का शिकार करना इनके लिए आसान हो जाता है।

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा पार्क क्षेत्र में लगे कैमरों में भी इन कुत्तों के शिकार करते हुए वीडियो रिकॉर्ड किए गए हैं। इस पर विशेषज्ञों ने पार्क प्रशासन को कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने की सलाह दी है, ताकि इन दुर्लभ जंगली जानवरों की प्रजाति को बचाया जा सके। यदि इस समस्या को समय रहते नहीं सुलझाया गया, तो स्नो लेपर्ड की प्रजाति खतरे में पड़ सकती है, जिससे यह प्रजाति विलुप्त हो सकती है।

स्नो लेपर्ड की संख्या पर चिंता

गंगोत्री नेशनल पार्क के प्रशासन के अनुसार, पार्क में स्नो लेपर्ड की संख्या पहले के अनुमान के अनुसार 35 से 40 तक है। इस पार्क में इनका जीवन चक्र संतुलित है, लेकिन कुत्तों के बढ़ते शिकार के कारण इनकी खाद्य आपूर्ति में कमी हो रही है। इससे इन जंगली जानवरों की अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो सकता है।

Gangotri National Park में स्नो लेपर्ड के आहार को खतरा, आवारा कुत्तों को नेचुरल करने की योजना

पार्क प्रशासन ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाने की योजना बनाई है। प्रशासन ने इस समस्या के समाधान के लिए कुत्तों को नेचुरल करने का निर्णय लिया है, ताकि इन कुत्तों की संख्या को सीमित किया जा सके।

गंगोत्री नेशनल पार्क का महत्व और स्नो लेपर्ड की सुरक्षा

गंगोत्री नेशनल पार्क हिमालयी क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण संरक्षण क्षेत्रों में से एक है, जहां कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियां पाई जाती हैं। यहाँ की जैव विविधता के कारण यह क्षेत्र न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण है। स्नो लेपर्ड, जिसे हिमालय का खतरनाक शिकारी कहा जाता है, यहां के पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा है।

इस दुर्लभ प्रजाति की संख्या में कमी आने का मतलब केवल पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन नहीं होगा, बल्कि यह क्षेत्र की जैव विविधता पर भी असर डालेगा। इसलिए, गंगोत्री नेशनल पार्क में इनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।

पार्क प्रशासन की योजनाएँ और भविष्य की दिशा

गंगोत्री नेशनल पार्क के प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और इस मुद्दे पर विशेषज्ञों से सुझाव लेने के बाद कुत्तों को नेचुरल करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया में कुत्तों की संख्या को नियंत्रित किया जाएगा और उनके प्रजनन की संभावना को समाप्त किया जाएगा।

पार्क प्रशासन ने इसके अलावा, आवारा कुत्तों के लिए विशेष निगरानी व्यवस्था भी बनाई है, ताकि उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके। साथ ही, अन्य उपायों पर भी विचार किया जा रहा है, जैसे कि जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए विशेष सुरक्षा तंत्र की स्थापना।

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का योगदान

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संस्था ने पार्क प्रशासन को कई सुझाव दिए हैं, जिसमें कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करना, उनकी प्रजनन दर को कम करना और पार्क के भीतर सुरक्षित क्षेत्र बनाना शामिल है। इस संस्थान ने गंगोत्री नेशनल पार्क में स्थापित किए गए कैमरों के माध्यम से कुत्तों की गतिविधियों को ट्रैक किया और यह जानकारी दी कि ये कुत्ते किस प्रकार से जंगली जानवरों का शिकार कर रहे हैं।

गंगोत्री नेशनल पार्क में आवारा कुत्तों के बढ़ते झुंड और उनके द्वारा किए गए शिकार के कारण स्नो लेपर्ड जैसे दुर्लभ जंगली जानवरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इस समस्या को हल करने के लिए कुत्तों को नेचुरल करने का निर्णय लिया गया है, ताकि पार्क की पारिस्थितिकी और स्नो लेपर्ड की प्रजाति को बचाया जा सके। इसके साथ ही, इस क्षेत्र में जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

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