राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड की बेटियों का जलवा, स्वर्णिम सफलता से रचा इतिहास

उत्तराखंड की महिला खिलाड़ियों ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में अपने शानदार प्रदर्शन से प्रदेश का नाम रोशन किया है। अलग-अलग खेलों में स्वर्ण, रजत और…

Uttarakhand's daughters shine in national games, create history with golden success

उत्तराखंड की महिला खिलाड़ियों ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में अपने शानदार प्रदर्शन से प्रदेश का नाम रोशन किया है। अलग-अलग खेलों में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर उन्होंने उत्तराखंड को शीर्ष 10 राज्यों में स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से बॉक्सिंग, वुशु, ताइक्वांडो, मॉडर्न पेंटाथलॉन और योगासन में महिलाओं का दबदबा देखने को मिला। खेल मंत्री रेखा आर्या ने महिला खिलाड़ियों की इस सफलता को “नारी शक्ति का प्रतीक” बताते हुए उन्हें बधाई दी।


उत्तराखंड की बेटियों ने इस बार राष्ट्रीय खेलों में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। राज्य को मिले 14 स्वर्ण पदकों में से आधे से ज्यादा पदक महिला खिलाड़ियों ने जीते हैं। मॉडर्न पेंटाथलॉन में 5 स्वर्ण, बॉक्सिंग में 3 स्वर्ण, ताइक्वांडो, योगासन, वुशु, लॉन बॉल और केनोइंग-कयाकिंग में भी उत्तराखंड की बेटियों ने स्वर्ण जीतकर प्रदेश का मान बढ़ाया।

उत्तराखंड की खेल मंत्री रेखा आर्या ने महिला खिलाड़ियों की इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड की बेटियों ने यह साबित कर दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं। शिक्षा हो, समाज हो या खेल का मैदान, वे हर जगह अपने हुनर का लोहा मनवा रही हैं। राष्ट्रीय खेलों में उनका यह प्रदर्शन आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगा।”

इस बार उत्तराखंड की महिला मुक्केबाजों ने राष्ट्रीय खेलों में जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने तीन स्वर्ण और दो रजत पदक जीतकर प्रदेश को पदक तालिका में ऊंचा स्थान दिलाया। ताइक्वांडो और वुशु में भी महिला खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया, जिससे उत्तराखंड को कई महत्वपूर्ण पदक मिले।

उत्तराखंड की बेटियों की इस उपलब्धि से पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है। विभिन्न खेल संघों, कोच और खेल प्रेमियों ने महिला खिलाड़ियों के इस शानदार प्रदर्शन को सराहा। खेल मंत्री ने यह भी कहा कि भविष्य में बेटियों को और बेहतर प्रशिक्षण और सुविधाएं दी जाएंगी, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसी तरह देश और प्रदेश का नाम रोशन कर सकें।

उत्तराखंड की इन स्वर्णिम बेटियों की जीत न केवल खेलों में राज्य को नई पहचान दिला रही है, बल्कि यह भी साबित कर रही है कि अगर अवसर मिले तो बेटियां हर क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं।