फैक्ट्री में तिल और पाम ऑयल को मिलाकर बनाया जा रहा था नकली देशी घी, नमूनों से हुई पुष्टि

देसी घी में तिल और पाम ऑयल, एसेंस, वनस्पति सहित अन्य की मिलावट की पुष्टि हुई है। यह कहरई मोड स्थित नीरज अग्रवाल की फैक्ट्री…

Fake Desi Ghee was being made in the factory by mixing sesame and palm oil, samples confirmed

देसी घी में तिल और पाम ऑयल, एसेंस, वनस्पति सहित अन्य की मिलावट की पुष्टि हुई है। यह कहरई मोड स्थित नीरज अग्रवाल की फैक्ट्री में बन रहा था।

यह घी किसी भी रूप में खाने योग्य नहीं है। 18 नामचीन ब्रांड के नकली देसी घी की आपूर्ति प्रदेश के 16 शहरों और हरियाणा, नई दिल्ली, बिहार, राजस्थान , जम्मू सहित सात राज्यों में हो रही थी।

दो जनवरी को पुलिस और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम ने फैक्ट्री को सील कर दिया था। जिसके 13 नमूने लिए थे जिसमें घी के पांच नमूने असुरक्षित और पांच अधोमानक मिले हैं। एसीजेएम प्रथम और एडीएम सिटी कोर्ट में वाद दायर किए जा रहे हैं।

पुलिस और एफएसडीए अधिकारियों ने दो जनवरी की दोपहर 12 बजे कहरई स्थित एक फैक्ट्री में छापेमारी की। यहां ग्वालियर निवासी नीरज अग्रवाल और ब्रजेश अग्रवाल ने एक साल पूर्व फैक्ट्री को किराए पर लिया था। सात राज्यों और प्रदेश के 16 शहरों में ऑनलाइन नकली देसी घी की आपूर्ति की जा रही है।

जिसको लेकर 18 नामचीन कंपनियों के ब्रांड का प्रयोग किया जा रहा था। दस करोड़ रुपये के घी की बिक्री कर दी गई थी। पुलिस को डेढ़ करोड़ रुपये के घी की बिक्री के साक्ष्य भी मिले थे। एफएसडीए ने 13 नमूने लिए थे। इसमें लू घी भी शामिल था। लैब से अब घी के नमूनों की रिपोर्ट आ गई है।

सहायक आयुक्त खाद्य शशांक त्रिपाठी ने बताया कि नकली देसी घी में शुद्ध देसी घी का तड़का लगाया जा रहा था। देसी घी के पांच नमूने असुरक्षित मिले हैं। इन सभी नमूनों का वाद एडीजे कोर्ट में चलेगा। पांच नमूने अधोमानक मिले हैं। इन नमूनों का वाद एडीएम सिटी कोर्ट में चलेगा।

देसी घी में तिल और पाम आयल, वनस्पति, आयोडीन की मात्रा अधिक होना, वसा की मात्रा अधिक होना, एसेंस की मिलावट करना प्रमुख रूप से शामिल है। यह मुकदमा मैनेजर राजेश भारद्वाज और श्याम जी डेयरी फूड प्रोडक्ट के निदेशक नीरज अग्रवाल पर होगा।

वहीं एफएसडीए ग्वालियर द्वारा श्याम जी डेयरी फूड प्रोडक्ट के नाम पर लाइसेंस जारी किया था। नकली देसी घी का प्रकरण सामने आने के बाद एफएसडीए ने लाइसेंस को निरस्त कर दिया है। इसकी जानकारी अब स्थानीय अधिकारियों को दी गई है।

जांच में प्योर घी का नमूना असुरक्षित मिला है। यानी इस ब्रांड का घी खाने योग्य नहीं है। इसकी बिक्री सबसे अधिक ग्वालियर और उसके आसपास के क्षेत्र में होती है।

यह है रिपोर्ट: असुरक्षित नमूने: इस श्रेणी में पांच नमूने शामिल हैं। देसी घी में वनस्पति, पाम आयल, तिल का आयल, फैट न होना शामिल है। आयोडीन की मात्रा कहीं अधिक मिली है। एसेंस की भी मिलावट की गई है। खाने योग्य नहीं है।

अधोमानक नमूने: इस श्रेणी में पांच नमूने शामिल हैं। देसी घी में एसेंस को मिलाया गया है। रिफाइंड से लेकर विटामिन ए की कमी मिली है। एसिड वैल्यू भी अधिक मिला है।

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