प्रवक्ता कल्याण समिति का ऐलान, नियम विपरीत बैक डेट सीनियरटी सही कर दें तो 24 क्या 12 घंटे में केस वापस ले लेंगे

Announcement of Prawakta Welfare Committee, if back date seniority is corrected against the rules then the case will be withdrawn within 24 or 12 hours…

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Announcement of Prawakta Welfare Committee, if back date seniority is corrected against the rules then the case will be withdrawn within 24 or 12 hours

अल्मोड़ा:: प्रवक्ता कल्याण समिति ने कहा है कि वह कोर्ट केस 24 घंटे क्या 12 घंटे में ही वापस ले लेंगे यदि नियम विपरीत बैक डेट सीनियरिटी को सही कर दिया जाता है।


समिति ने साफ किया कि लोक सेवा आयोग हरिद्वार द्वारा 2003 की विज्ञप्ति के सापेक्ष 2005-06 में चयनित लोक सेवा आयोग के प्रवक्ताओं के साथ उस समय बड़ा धोखा हो गया जब 06-08-2010 को मौलिक रूप से पदोन्नत किए गये प्रवक्ताओं को, संयुक्त प्रवक्ता वरिष्ठता सूची में पहले से ही कार्यरत आयोग प्रवक्ताओं (वर्ष 2005-06) से ऊपर की वरिष्ठता निर्धारित कर दी गयी।
यही नहीं बैक डेट वरिष्ठता देते समय कोई विशेष दिनांक का उल्लेख न करते हुए सीधे वर्ष का निर्धारण कर दिया गया, आज तक किसी भी नियमावली में पिछला वर्ष वरिष्ठता निर्धारण करने का कहीं उल्लेख नहीं है।
समिति के अध्यक्ष मुकेश बहुगुणा व सदस्य नन्दा बल्लभ पांडे ने कहा है कि यही नहीं एक शासनादेश जिसके तहत बैक डेट सीनियरिटी पाए एल टी से प्रवक्ता तदर्थ पदोन्नत आदेश में उल्लेखित शासनादेश संख्या- 2158/ मा सं वि. /2001 दिनांक 16-06-2001 विभाग व शासन दोनों जगह से गुम हो चुका है।
यह भी कहा कि बैक डेट सीनियरिटी को सही ठहराने हेतु, उक्त शासनादेश का न मिलना संदेह पैदा करता है। जिन कार्मिकों की इस शासनादेश को संरक्षित व सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उन पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।
आयोग चयनित प्रवक्ता अपने लिए विभागीय नियमों के विपरीत कोई भी मांग नहीं कर रहा है, वह केवल शासन की नियमावली के विपरीत जो कार्य हुए हैं उसे सही करने की मांग विभाग व शासन से कर रहा है।
यदि विभाग शासन व संगठन नियमावली के तहत बैक डेट सीनियरिटी (प्रवक्ता संयुक्त वरिष्ठता सूची) को सही करते हैं तो समस्त याचिकाकर्ता 12 घंटे के अंदर अपनी याचिका वापस लेने हेतु तैयार हैं।
समिति का मानना है कि शासनादेश 2158 का खो जाना और खोने वाले अधिकारियों पर आज तक कार्यवाही न होना तथा जिन्होंने गलती से प्रमोशन ले लिया उन पर कार्यवाही न होना जूनियर को सिनियर से ऊपर रख देना है।
समिति का कहना है कि इसी कारण समिति को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और न्यायालय ने सारे पदोन्नति पर रोक लगा दी इसी कारण पूरे उत्तराखण्ड में शिक्षा विभाग में पदोन्नति रुकी है