रिपोर्ट में दावा, भारत को विकसित करने के लिए 40 करोड़ महिलाओं को जोड़ने की जरूरत

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में 14 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने के लिए कार्यबल में अतिरिक्त 40 करोड़ महिलाओं…

The report claims that India needs to connect 40 crore women to develop

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में 14 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने के लिए कार्यबल में अतिरिक्त 40 करोड़ महिलाओं को जोड़ने की आवश्यकता है। जिसके लिए वित्त वर्ष 2047 तक मौजूदा महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) को लगभग दोगुना करके 37 प्रतिशत से 70 प्रतिशत करना पड़ेगा।

गैर-लाभकारी संगठन द नज इंस्टीट्यूट ने भारत के आर्थिक भविष्य से जुड़े इस तथ्य के बारे में बताते हुए नई रिपोर्ट, ‘लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन डिस्टिलेशन रिपोर्ट’ प्रकाशित की है। यह रिपोर्ट पिछले कुछ वर्षों के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण पर आधारित है।

जारी हुई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का लक्ष्य 2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। जिसके लिए इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए अपनी महिला श्रम बल भागीदारी में पर्याप्त वृद्धि करने की आवश्यकता है। भारत ने 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल कर खुद को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करने का लक्ष्य रखा है।


रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2047 तक भारत को अपनी वर्तमान महिला श्रम बल भागीदारी दर को 37 प्रतिशत से लगभग दोगुना करके 70 प्रतिशत तक पहुंचाना होगा। वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक अब तक केवल 11 करोड़ महिलाओं के महिलाओं के श्रम बल में शामिल होने का अनुमान है। ऐसे में अर्थव्यवस्था से जुड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 14.5 करोड़ महिलाओं को कार्यबल से जोड़ने की जरूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 तक, 2019 में कार्यरत लगभग आधी महिलाएं कार्यबल से बाहर हो गई थीं। महिलाएं मुख्य रूप से कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में काम करती हैं, जैसे कृषि और विनिर्माण, जहां उन्हें सीमित वृद्धि मिल पाती है। कोविड महामारी के कारण ये मुद्दे और बढ़े। कई ग्रामीण महिलाओं को आय में कमी या परिवार में मुख्य रूप से कमाने वाले व्यक्ति की नौकरी छूटने के कारण फिर से काम पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यह महिला रोजगार की नाजुकता को सामने लाता है।

सबसे पहले, प्लेटफॉर्म जॉब्स और डिजिटल माइक्रोवर्क के माध्यम से काम को फिर से परिभाषित करना महिलाओं के बीच रोजगार की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। दूसरा, डिजिटल कॉमर्स इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से उद्यमिता के अवसरों को बढ़ाया जा सकता है। तीसरा, गतिशीलता और डिजिटल पहुंच जैसी बाधाओं को दूर कर श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी को बेहतर बनाया जा सकता है।