तो हवा में चल रहे है परिवहन विभाग और पुलिस के यातायात नियम, एक मैक्स वाहन में कैसे बैठे 16 यात्री, कौन लेगा जिम्मेदारी, सवाल बरकार

अल्मोड़ा। चितई पेटशाल के समीप कालीधार में हुए मैक्स हादसे में संयोग से बड़ी जनहानि होने से बच गई लेकिन प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी…

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अल्मोड़ा। चितई पेटशाल के समीप कालीधार में हुए मैक्स हादसे में संयोग से बड़ी जनहानि होने से बच गई लेकिन प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी के आलम ने दुर्घटना को जन्म दे ही दिया था। टैक्सी के रूप में चलने वाले इस वाहन में चालक सहित 16 सवारियां बैठी थी । ओवरलोडिंग की इस पराकाष्ठा का जबाब कौन देगा, जिला प्रशासन, परिवहन विभाग या पुलिस विभाग, यह सवाल अपनी जगह पर खड़ा है।
अल्मोड़ा में जब भी प्रशासन की संयुक्त बैठक होती है तब यातायात मुद्दा सबसे पहले सामने आता है। हालांकि बाजार में वनवे लागू करने, वाहनों में जैमर लगाने या चालान तक ही यह मुहिम सिमट कर रह गई है। नियमित रूप से सड़क सुरक्षा जैसी बैठकों में सर खपाया जाता है। सुरक्षा के उपाय करने का संकल्प की बात सार्वजनिक प्रेस रिलीजों मे दी जाती है, सड़क सुरक्षा सप्ताह जैसे जोशीले कार्यक्रमों को आयोजित करने की बात कही जाती है लेकिन लापरवाही की परत सभी संकल्पों और आह्वानों को पल भर में नकारा साबित कर देती है। सिंघम स्टाइल कवायद तक धरातल में नहीं उतर पाती है।
बुधवार को दन्या से एक टैक्सी चालक खुद सहित 15 लोगों को टैक्सी वाहन में भर कर अल्मोड़ा को चलता है। नियमों की अनदेखी की इंतहा देखिए वह अल्मोड़ा के नजदीक तक निर्विघ्न पहुंच भी जाता है लेकिन ओवरलोडिंग के चलते वाहन का नियंत्रण हाथ से बाहर हो गया और वाहन सड़क से उतर गया। उसमें बैठी सवारियों की माने तो एक पेड़ से 15 जिंदगियां मौके पर ही बचा ली। हालांकि इस घटना में पांच लोग अल्मोड़ा के अस्पताल में और एक ​रेफर भी किया गया है। आपदा प्रबंधन विभाग की लिस्ट में घायलों की संख्या 15 बताई गई है जबकि इसमें चालक का नाम नहीं है। पहाड़ की सड़कों पर ओवर लोडिंग दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण है। एक घायल के अुनसार अचानक एक तरफ का फाटक खुला लोग बा​हर गिरे साथ ही वाहन भी सरक गया। हालांकि सड़क भी पहाड़ की एकदम दुरूस्त नहीं कही जा सकती है लेकिन प्रत्यक्षदर्शियो के अनुसार इस वाहन में ओवरलोडिंग भी दुर्घटना का एक मुख्य कारण है। परिवहन विभाग, पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन इस दुर्घटना से क्या सबक लेगा यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह लापरवाही किस पैमाने पर होती है और आंखे मूंदे रखने का क्या कारण है यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। यहां चीड़ के पेड़ ने एक बड़े हादसे को रोक लिया लेकन इसी तरह आंखे बंद रखने का रिवाज आगे भी रहा तो कभी भी कोई बड़ा हादसा सामने आ सकता है। पुलिस प्रशासन को भी अब ठोस कदम उठाने होंगे पूरा यातायात प्रकोष्ठ को नगर तक सीमित रखने की बजाय कुछ कसरत भी करानी होगी। और परिवहन विभाग को नियमानुसार वाहनों को निरीक्षण करना चाहिए नियमानुसार इस लिए कि निरीक्षण हमेशा होते रहते हैं। उनका परिणाम निकलना चाहिए,उसमे औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। प्रशासन को भी इस प्रकार की लापरवाही पर कुछ कदम जरूर उठाने होंगे अन्यथा यह लापरवाही कभी भी एक बड़े हादसे को जन्म दे सकती है।