उत्तराखंड में नवोदय विद्यालय के हाल है बेहाल, अभिभावकों ने 15 दिन पहले कराया ऐडमिशन, अब बच्चों को वापस ले गए घर

Rajiv Gandhi Navodaya Vidyalaya Kotabagh: बिजली का काम करने वाले श्रमिकों से कक्षा 5 के बच्चे ने कहा कि मुझे मेरे पापा से बात करनी…

The condition of Navodaya Vidyalaya in Uttarakhand is pathetic, parents got their children admitted 15 days ago, now they have taken their children back home

Rajiv Gandhi Navodaya Vidyalaya Kotabagh: बिजली का काम करने वाले श्रमिकों से कक्षा 5 के बच्चे ने कहा कि मुझे मेरे पापा से बात करनी है मैं पूरे स्कूल में अकेला रह गया हूं। अब मैं रात में यहां कैसे रहूंगा। बच्चे की यह बात सुनकर बिजली श्रमिक ने उसके पिता से बात करवाई। फोन पर ही बच्चे ने पिता से कहा कि वह अकेला है। इसके बाद उसके पिता दौड़े दौड़े उसे लेने स्कूल पहुंच गए।

उन्होंने देखा कि 325 छात्र संख्या वाले उसे स्कूल में एक भी बच्चा नहीं है। उनका बच्चा डरा हुआ था क्योंकि वहां दूसरा कोई भी बच्चा नहीं था। यह हाल राजीव गांधी नवोदय विद्यालय स्यात कोटबाग का।

कोटाबाग निवासी खुशाल मेहरा ने फोन पर बात करते हुए बताया कि 15 दिन पहले ही कक्षा 5 में बच्चे का प्रवेश दिलवाया था। इसलिए कि इस विद्यालय में पढ़ाई अच्छी होती है लेकिन अब पता चला कि छात्रावास में काफी गंदगी है। बाथरूम और शौचालय देखकर ऐसे लगते हैं कि महीनो साफ नहीं किए गए हैं।

यही नहीं यहां भोजन भी अच्छा नहीं मिलता है। खाने में नमक और मिर्च सब ज्यादा ही रहता है। बच्चे ठीक से खाना भी नहीं खा पाते। स्कूल में बिजली पानी भी ठीक नहीं है। विद्यालय में अव्यवस्थाएं देखकर सभी अभिभावक एक-एक करके अपने बच्चे को घर ले गए। मेरा बच्चा ही विद्यालय में रह गया था।

इसके बाद भी विद्यालय प्रबंधन ने इसकी सूचना उन्हें नहीं दी। खुशाल का कहना है कि यह अच्छी बात है कि मेरे बच्चे को मेरा मोबाइल नंबर याद है। जब उसने मुझे अकेले होने की जानकारी दी तो मैं बच्चों को लेने स्कूल पहुंच गया।

राजीव गांधी नवोदय विद्यालय स्यात कोटाबाग में अव्यवस्थाओं के चलते पूरा स्कूल ही खाली हो गया। इस विद्यालय प्रबंधन कमेटी की अध्यक्ष डीएम होते हैं। अभिभावकों का आरोप है कि कई दिनों से चल रहे। इस प्रकरण को प्रशासन ने भी गंभीरता से नहीं लिया।

बताया जा रहा है यहां काफी समय से प्रधानाचार्य का पद भी रिक्त है जिसे उपखंड शिक्षा अधिकारी ही संभाल रहे हैं। इसके अतिरिक्त दो शिक्षक दो मेट्रेन के अतिरिक्त कैसेट्रिंग, प्रधान सहायक, वरिष्ठ लिपिक, लैब सहायक, कुक लाइब्रेरियन समेत मैच संचालक तक के पदरिक्त चल रहे हैं। इस कमी की वजह से पूरा व्यवस्था चौपट हो गई थी।

अभिभावकों ने यह भी शिकायत की की शिक्षक दूसरे शहर में अन्य जगहों से विद्यालय में आते हैं जबकि अधिकतर शिक्षकों को परिसर में ही रहना चाहिए। इससे व्यवस्था बनी रहती है लेकिन यहां पर यह भी कोई देखने वाला नहीं है।