टाइप 1 डायबिटीज झेल रहे मासूम, उनके नाजुक शरीर पर लगाया जा रहा इन्सुलिन, जानिए इसके लक्षण , कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं करता ऐसा

यदि आपका बच्चा बार-बार खाना खाता है और पानी पीता है। कई बार पेशाब भी जाता है। इसके बाद भी उसका वजन कम हो रहा…

Innocent children are suffering from Type 1 diabetes, insulin is being applied on their delicate bodies, know its symptoms, is your child also doing this?

यदि आपका बच्चा बार-बार खाना खाता है और पानी पीता है। कई बार पेशाब भी जाता है। इसके बाद भी उसका वजन कम हो रहा है यह आपके लिए चिंता का विषय है। इसके लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आपके बच्चे को टाइप 1 डायबिटीज भी हो सकती है। अधिकतर मां-बाप इस बात को अनदेखा कर देते हैं।

मां बाप इस बात से खुश होते हैं कि उनका बच्चा बार-बार खाना खा रहा है। दरअसल, 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। इस उम्र में बच्चे को टाइप 1 डायबिटीज हो जाती है तो इसका इलाज भी उम्र भर चलता है। नन्हीं सी उम्र में बच्चों के नाजुक शरीर पर इंसुलिन इंजेक्शन लगना शुरू हो जाता है। अस्पतालों में टाइप 1 डायबिटीज के पहले एक-दो ही मरीज आते थे, लेकिन अब छह से सात आ रहे हैं।

डॉक्टरों के अनुसार टाइप 1 डायबिटीज में खाने वाली कोई दवा फायदेमंद नहीं होती है। इसमें इंसुलिन इंजेक्शन से ही इलाज संभव हो पाता है। बच्चों को एक या तीन से चार इंसुलिन इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। डाइटिशियन की सलाह पर ही खानपान देना पड़ता है।

दून मेडिकल कॉलेज, अस्पताल के बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज लाइफ स्टाइल से संबंधित नहीं होती है। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून रोग है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से पैंक्रियास की इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं पर हमला कर देती है। उन्हें नष्ट कर देती है। इस कारण, शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है, जो ब्लड शुगर (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में शुगर भी कंट्रोल नहीं हो पाता है। इस वजह से टाइप 1 डायबिटीज हो जाती है। टाइप 1 डायबिटीज होने की संभावना 18 साल की उम्र तक होती है।

दून मेडिकल कॉलेज, अस्पताल के बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर मेजर डॉ. गौरव मुखीजा ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज जेनेटिक भी हो सकता है। इसके अलावा यदि बच्चे को डायबिटीज है और डायबिटीज अब तक पकड़ में नहीं आई है। इसी बीच बच्चे को कोई इंफेक्शन हो तो वह डायबिटीज को भी बिगाड़ देता है।

डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि शुरुआती दौर में टाइप 1 डायबिटीज की पहचान करना मुश्किल होता है। अगर बच्चा ज्यादा खाना खाता है तो घर वाले बहुत खुश होते हैं। जब वजन कम होता है तो इधर उधर उसका इलाज करवा करवाते हैं। टाइप 1 डायबिटीज को कई बार माता-पिता स्वीकार भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में माता पिता की काउंसिलिंग की जरूरत होती है।

ये हैं लक्षण

  • अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना
  • अचानक वजन कम होना, भूख बढ़ना
  • थकान कमजोरी, चिड़चिड़ापन होना है।