शवों तक पहुंचने की तीन कोशिशें नाकाम : नही आ पाये पर्वतारोहियों के शव

नंदी देवी पूर्वी क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से नहीं उतर पाए रेस्क्यू टीम के सदस्य पिथौरागढ़। नंदा देवी पूर्वी क्षेत्र में हिमस्खलन की चपेट में आए…

rescue ke liye rawana hota dal



नंदी देवी पूर्वी क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से नहीं उतर पाए रेस्क्यू टीम के सदस्य



पिथौरागढ़। नंदा देवी पूर्वी क्षेत्र में हिमस्खलन की चपेट में आए पर्वतरोहियों के शवों तक पहुंचने का बुधवार को शुरू हुआ हवाई रेस्क्यू अभियान तीन बार कोशिश करने के बावजूद असफल रहा। अब जिला प्रशासन, आईटीबीपी और अन्य सुरक्षा एजेंसियां कुछ लंबे मगर सुरक्षित रेस्क्यू अभियान को संचालित करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं, जिसे तीन-चार बाद संचालित किया जाएगा। इसके लिए एक-दो दिन के भीतर दोबारा से घटनास्थल क्षेत्र की हवाई रैकी की जाएगी। हालांकि उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौसम लगातार खराब बना हुआ है और मंगलवार को भी वहां बर्फबारी हुई थी। यह बात बुधवार को जिला कार्यालय सभागार में जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे और आईटीबीपी के डीआईजी एपीएस निंबाडिया ने प्रेस वार्ता में कही।


गौरतलब है कि भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी पर चढ़ने के लिए गए 12 सदस्यीय दल के 8 सदस्य हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। इनमें टीम लीडर और विश्व प्रसिद्ध पर्वतारोही मार्टिन मोरन समेत चार लोग ब्रिटेन, एक महिला पर्वतारोही आस्ट्रेलिया, दो अमेरिका और एक भारतीय लाइजन अफसर चेतन पांडेय शामिल हैं। पर्वतारोहियों के हिमस्खलन की चपेट में आने की इस घटना का 6-7 दिनों बाद पता लगा, जिसके बाद खोजबीन के लिए गई हवाई रेस्क्यू टीम को नंदा देवी पूर्वी क्षेत्र में बर्फ पर 5 शव दिखाई दिये, जबकि शेष 3 लोगों का अब तक पता नहीं चला है। हालांकि उनके भी जिंदा होने की संभावना नहीं के बराबर है। माना जा रहा है कि हिमस्खलन की चपेट में आए दल के 8 सदस्य एक अलग रास्ते से नंदा देवी या फिर किसी अनाम चोटी पर चढ़ने के लिए निकल गए थे, जबकि कुल 12 सदस्यीय दल के 4 अन्य सदस्य मुश्किल हालात का सामना करने के बाद नंदा देवी बेस कैंप 2 में लौट आए थे, जिन्हें रेस्क्यू कर लिया गया है। एक महिला सहित ये चारों लोग ब्रिटेन के नागरिक हैं।

हवा के अत्यधिक दबाव और कटोरीनुमा कठिन इलाका होने से लौटना पड़ा हेलीकॉप्टर को


इधर नंदा देवी पर्वत के पूर्वी क्षेत्र से पर्वतरोहियों के शवों को रेस्क्यू करने के लिए बुधवार सुबह एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से एक टीम ने उड़ान भरी। इसमें आईटीबीपी, सेना और एसडीआरएफ के एक्सपर्ट शामिल थे। एवरेस्ट विजेता और आईटीबीपी के द्वितीय कमान अधिकारी रतन सिंह सोनाल के नेतृत्व में यह टीम गई। जिलाधिकारी के अनुसार जिस जगह पर्वतारोहियों के शव पड़े हैं वह कटोरीनुमा इलाका है, जिसके तीन ओर से ऊंचे बर्फीले पहाड़ हैं। हवा का दबाव अत्यधिक होने और हेलीकॉप्टर को मुड़ने के लिए मुश्किल स्थितियां होने के चलते टीम को दो कोशिशों के बावजूद वापस लौटना पड़ा। तीसरी बार एक अन्य और लंबे रास्ते से क्षेत्र में पहुंचने का प्रयास किया गया, लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली। इसके चलते बुधवार को हवाई रेस्क्यू मिशन रोकना पड़ा।

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अब लंबी और सुरक्षित कार्य योजना के तहत एक-दो दिन में हेलीकॉप्टर से फिर होगी घटनास्थल की रेकी

जिलाधिकारी तथा आईटीबीपी के डीआईजी निंबाडिया ने बताया कि अब रेस्क्यू के लिए अलग से कार्य योजना बनाई जा रही है, जो भले ही कुछ लंबी हो, लेकिन रेस्क्यू टीम के लिए सुरक्षित भी हो। इसमें हेलीकॉप्टर से घटनास्थल के नजदीक अलग-अलग टीमों को उतारा जाएगा। जिसके बाद टीमों को क्षेत्र को समझने, मौसम के साथ अनुकूलन, वहां पहुंचने और फिर चरणबद्ध तरीके से शवों को वापस निर्धारित जगह तक लाने में समय लगेगा। ताकि वहां से शवों को हेलीकॉप्टर में लाया जा सके। इसमें सामान्यतः दो सप्ताह लग सकते हैं और कम से कम 8 दिन। उन्होंने बताया कि रेस्क्यू टीमों के लिए बैकअप फोर्स भी तैयार की जा रही है। बुधवार शाम को एनडीआरएफ की टीम भी पिथौरागढ़ पहुंच रही है। जिलाधिकारी ने बताया कि रेस्क्यू टीम में सेना और आईटीबीपी, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के एक्सपर्ट शामिल रहेंगे। इस मिशन पर करीब 50 लोगों की टीम जाएगी।

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