पिछले साल लद्दाख की बर्फीली खाई में दबे तीन सैनिकों के शव, नौ महीना बाद निकाले इस तरह, देखें वीडियो

बीते वर्ष अक्टूबर में लद्दाख में एक हिमस्खलन हुआ था। जिसमें 38 भारतीय सैनिक फंस गए थे। हादसे के बाद सेना के द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन…

Last year, the bodies of three soldiers buried in a snowy trench in Ladakh were taken out after nine months in this way, watch the video

बीते वर्ष अक्टूबर में लद्दाख में एक हिमस्खलन हुआ था। जिसमें 38 भारतीय सैनिक फंस गए थे। हादसे के बाद सेना के द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था, जिसमें कई सैनिकों को बचा लिया गया था।


घटना के दौरान एक सैनिक की मौत हो गई थी, जिसका शव बरामद कर लिया गया था। वही तीन सैनिक लापता थे। तीनों का कुछ पता नहीं चल पा रहा था लेकिन अब करीब 9 महीने के बाद उन तीनों सैनिकों के शव मिल चुके है। इनकी पहचान हवलदार रोहित, हवलदार ठाकुर बहादुर अले और नायक गौतम राजवंशी के रूप में की गई है। तीनों जवानों के शव बर्फीली खाई के क्षेत्र में बर्फ की परतों के नीचे दबे हुए थे।

पिछले साल अक्टूबर में हुए हादसे में लापता हुए तीनों सैनिकों का पता लगाने के लिए विशेष राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया गया था। लेकिन, उस वक्त सेना को अपने अभियान में कामयाबी नहीं मिली थी। उन लापता तीनों सैनिकों का कुछ पता नहीं चल पा रहा था। करीब 9 महीने बाद तीनों सेनिकों के शवों को ढूंढने के लिए फिर से अभियान चलाया गया।


सेना के इस मिशन का नेतृत्व हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने किया। इस मिशन में शामिल रहे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने बताया कि यह ऑपरेशन उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण मिशन था। सैन्य अधिकारियों के अनुसार करीब 18,700 फीट की ऊंचाई पर 9 दिन तक लगातार जटिल परिस्थितियों में 10 से 12 घंटे खुदाई की गई।


सैन्य अधिकारियों ने बताया
कि ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कई टन बर्फ हटाई गई और इस दौरान कठिन मौसम शारीरिक और मानसिक चुनौती दे रहा था। सेना ने अपने इस मिशन में भारी कठिनाइयों के बावजूद कामयाबी हासिल की और तीनों लापता जवानों के शव ढूंढ लिए गए। 3 सैनिकों में से एक का शव उनके परिजनों को सौंप दिया गया। किन्नौर जिले के शहीद जवान रोहित की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव तरांडा लाई गई जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बाकी के दो जवानों के शव भी पूरे सम्मान के साथ उनके घर भेजे जा रहे हैं।