शहीद कैप्टन अंशुमान की लव स्टोरी, कॉलेज में पहली नज़र में हुआ था प्यार,पत्नी ने बताई सारी बातें, देखिए

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला निवासी कैप्टन अंशुमान  19 जुलाई, 2023 सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में शहीद हो गए थे। उनके शहीद होने के एक साल…

Love story of martyr Captain Anshuman, it was love at first sight in college, wife told everything, watch

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला निवासी कैप्टन अंशुमान  19 जुलाई, 2023 सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में शहीद हो गए थे। उनके शहीद होने के एक साल बाद उनकी विधवा पत्नी स्मृति सिंह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों मरणोपरांत वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र दिया गया है। उन्होंने नम आंखों से इस चक्र को प्राप्त किया। उनके साथ कैप्टन सिंह की मां भी मौजूद थी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कीर्ति चक्र भारत का दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार है। इस दौरान स्मृति सिंह ने याद करते हुए कहा, “वह मुझसे कहते थे, ‘मैं अपने सीने पर पीतल रखकर मरूंगा। मैं सामान्य मौत नहीं मरूंगा।”

स्मृति सिंह ने अपने और कैप्टन अंशुमान के बीच शुरू हुए लव स्टोरी के बारे में बताया, जो कॉलेज से शुरू हुई थी। उन्होंने बेहद नम आंखों से कहा कि हम कॉलेज के पहले दिन मिले थे। ये मेरे लिए पहली नजर का प्यार था। एक महीने के बाद चयन सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (AFMC) में हो गया। हम एक इंजीनियरिंग कॉलेज में मिले थे लेकिन फिर उसका मेडिकल कॉलेज में चयन हो गया। हम लोग सिर्फ 1 महीना ही साथ रहे। उसके बाद दूसरे हमलोग 8 साल के Long Distance Relationship में रहे। फिर हमने शादी करने का फैसला किया। दुर्भाग्य से हमारी शादी के दो महीने के अंदर ही उनकी पोस्टिंग सियाचिन में हो गई।

स्मृति सिंह ने बताया कि 18 जुलाई को हमने इस बारे में लंबी बातचीत की थी। अगले 50 सालों में हमारी लाइफ कैसी होगी। वहीं अगले ही फोन आया की वह अब नहीं रहे।। मैं 7-8 घंटों तक ये मानने को तैयार नहीं थी, उनके साथ कुछ ऐसा हुआ है। अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है तो ये बाते सच लग रही है। वो एक नायक है। उन्होंने अपने लोगों को बचाने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया है।

बता दें कि कैप्टन सिंह 26 पंजाब के साथ सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात थे। 19 जुलाई, 2023 को सुबह करीब 3 बजे शॉर्ट सर्किट के कारण भारतीय सेना के गोला-बारूद के ढेर में अचानक से आग लग गई। कैप्टन सिंह ने फाइबरग्लास की एक झोपड़ी को आग की लपटों में घिरा देखा और तुरंत अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए कार्रवाई की। उन्होंने चार से पांच लोगों को सफलतापूर्वक बचाया, हालांकि, आग जल्द ही पास के चिकित्सा जांच कक्ष में फैल गई।कैप्टन सिंह वापस धधकती इमारत में चले गये। हालांकि, वो खुद अंदर फस और वो शहीद हो गए।