ऑफिस लेट आने पर बॉस ने लगाया ₹200 का जुर्माना, अब फंस गया खुद ही मुसीबत में

Fine For Latecomers: प्राइवेट हो या सरकारी ऑफिस आज सभी जगह कंपटीशन देखने को मिलता है। ऐसे में समय की पाबंदी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती…

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Fine For Latecomers: प्राइवेट हो या सरकारी ऑफिस आज सभी जगह कंपटीशन देखने को मिलता है। ऐसे में समय की पाबंदी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है जो सफलता के लिए भी जरूरी है।प्राइवेट ऑफिस के कर्मचारी के देर से पहुंचने की समस्या को हल करने के लिए अक्सर फाइन भी लिया जाता है।

इसके पीछे का मकसद कर्मचारियों को समय पर पहुंचने के लिए उत्साहित करना, अनुशासन में लाना होता है।

कुछ ऐसा ही मुंबई के एक स्टार्टअप कंपनी के मालिक ने भी कि‍या। लेक‍िन, ताज्जुब की बात यह है क‍ि बॉस का फरमान उसी पर भारी पड़ गया। आइए जानते हैं कैसे?

दरअसल, मुंबई की इवोर ब्यूटी कंपनी के मालिक कौशल ने बताया क‍ि उन्होंने पिछले सप्ताह, ऑफिस में उत्पादकता बढ़ाने के लिए, सुबह 9:30 बजे तक ऑफिस में आने का सख्त नियम बनाया। पहले सभी कर्मचारी 10-11 बजे तक आते थे। नए फरमान में देर से आने पर जुर्माने के रूप में 200 रुपये का भुगतान का नियम लागू क‍िया गया। यह न‍ियम बॉस से लेकर सभी कर्मचारियों पर लागू किया गया।

मजे की बात यह है की सोशल मीडिया पर कंपनी के बॉस ने अपना अनुभव भी साझा किया। कंपनी के मालिक कौशल ने बताया मैं पांचवी बार भुगतान कर रहा हूं।अब तक कुल ₹1000 का जुर्माना में भर चुका हूं।

उन्होंने यह भी कहा क‍ि ऐसा लगता है कि इस पोस्ट के पीछे मेरी मंशा को गलत समझा गया।अगर, आप अपने कर्मचारियों के लिए कोई नियम बनाते हैं, तो आपको उसका पालन सबसे पहले करना चाह‍िए। जहां तक मेरे अपने UPI वॉलेट में जुर्माना भरने की चिंता का सवाल है, कृपया ध्यान दें कि मैंने विशेष रूप से टीम फंड के रूप में एक अलग UPI लाइट खाता बनाया है। एकत्र किए गए धन का उपयोग केवल टीम की गतिविधियों और लाभों, जैसे कि फूड और अन्य टीम कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। मैं प्रतिक्रिया की सराहना करता हूं और आशा करता हूं कि इससे मेरे इरादे क्लियर हो जाएंगे।

मि‍ल रहे ऐसे रिएक्शन?

एक यूजर का कहना है कि आपको ऐसा क्यों लगता है कि अगर कर्मचारी निश्चित समय पर आएगा तो आपकी कंपनी को ज्यादा फायदा होगा और इसी से आपकी उत्पादकता बढ़ेगी? आपने लॉगिन समय और उत्पादकता के बीच संबंध कैसे पाया? क्या हम स्पष्टता के लिए डेटा देख सकते हैं?
एक अन्य यूजर ने कहा क‍ि स्कूल नहीं, संस्कृति बनाना सीखें, बड़ों से बड़ों जैसा व्यवहार करें। ऑफिस को ऐसी जगह बनाएं जहां लोग आना चाहें। अगर आपको यह करने के लिए सुझाव चाहिए तो बेझिझक हमसे संपर्क करें।

एक यूजर ने दिक्कतों को गिनाते हुए कहा क‍ि खुद को समझना चाहिए जब आप पांचवी बार जुर्माना भरते हो…. मुंबई में रहते हो ट्रेन से यात्रा करते हो भीड़, बारिश, ट्रेनें देरी से चल रही हैं।