मिनिस्टीरियल एसोसिएशन की दो टूक:: स्थानांतरण एक्ट की खामियां दूर करे सरकार

Ministerial Association bluntly: Government should remove the flaws in the Transfer Act अभी तक सौ फीसदी लागू नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति अनुरोध व अनिवार्य स्थानांतरण…

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Ministerial Association bluntly: Government should remove the flaws in the Transfer Act

अभी तक सौ फीसदी लागू नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति अनुरोध व अनिवार्य स्थानांतरण में काउंसलिंग जरूरी- धीरेन्द्र कुमार पाठक

अल्मोड़ा, 20 जून 2024- एजूकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन कुमाऊं मण्डल नैनीताल के पूर्व मंडलीय सचिव व उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार पाठक ने जारी बयान में कहां कि स्थानांतरण एक्ट में न्याय जैसी बात कुछ नहीं रही है।


उन्होंने कहा कि जब तक यह एक्ट सौ फीसदी लागू नहीं होता तब तक यह अपने उद्देश्यों तक नहीं पहुंच सकता है।


उन्होंने कहा कि दूसरा पहलू अनिवार्य स्थानांतरण देखिए पहले सुगम से दुर्गम दूसरा अनुरोध और तीसरे पर अनिवार्य दुर्गम से सुगम।अब जब अनिवार्य है तो पहला व दूसरा क्यों नहीं ऐसा नहीं कर सकते तो इसे भी भी अनुरोध में शामिल कर दिया जाना चाहिए और दुर्गम सेवा के आधार पर वरीयता दी जानी चाहिए। एक्ट में खामियां ही खामियां हैं और अनिवार्य व अनुरोध दोनों स्थानांतरण में काउंसलिंग जरूरी है ताकि विकल्प में पारदर्शिता मौजूद रहे।


उन्होंने कहा कि स्थानांतरण एक्ट 2017 लागू 2018 में विसंगति ही विसंगति है अनिवार्य व अनुरोध स्थानांतरण में विकल्प मांगे जाते हैं इसके स्थान पर काउंसलिंग अनिवार्य रूप से होनी चाहिए ताकि पारदर्शिता के साथ सभी को मौका मिल सके और अपील की ही नौबत उत्पन्न न हो। दुर्गम से सुगम अनिवार्य स्थानांतरण को तीसरे स्थान पर धकेलने से सदस्यों में रोष व्याप्त है जब अनिवार्यतः दुर्गम की सेवा पूर्ण हो गई है तो सुगम में इच्छित स्थानों पर आने का मौका मिलना चाहिए और जो नहीं चाहते हैं तो यह छूट मौजूद हैं।
उन्होंने कहा जब तक स्थानांतरण पालिसी को सौ फीसदी लागू नहीं किया जायेगा फैसला भी अपेक्षित नहीं मिलेंगे। गंभीर बीमार व आकस्मिक रूप से बीमारी की स्थिति में चिकित्सा हेतु निकटतम चिकित्सा संबंधी सुविधाएं जहां उपलब्ध है वहां सम्बद्ध होने की भी तत्काल व्यवस्था होनी चाहिए। पारस्परिक स्थानांतरण के पत्रजात भी कार्यालय में जमा होने पर एक सप्ताह के भीतर आदेश निर्गत होने चाहिए ताकि इंतजार न करना पड़े और जब प्रतिस्थानी मिल रहा है फिर यह परेशानी का विषय नहीं होना चाहिए।


एक्ट में संविधान व्यवस्था के तहत दुर्गम व सुगम सेवा के आधार पर न्याय मिलना चाहिए और पोर्टल को खंड स्तर पर सुधार के लिए खुला रखना चाहिए ताकि जिस कार्मिक की भी विसंगति हो वह ठीक हो सके। सभी कार्मिकों संगठनों से सुझाव लेकर एक्ट की विसंगतियों का निराकरण जरूरी है। छ महीने के भीतर फलित रिक्त पदों का लाभ स्थानांतरण व पदोन्नति दोनों में ही दिया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक सदस्यों को लाभ मिल सके और पदोन्नति अधिकतम स्थानों में हो सकें। अन्यथा यह एक्ट, एक्ट न होकर परेशानी का ही सबब बनेगा।