शहर से पकड़े गए बंदरों को गांवों क्षेत्रों में छोड़ रहा वन विभाग, ग्रामीणों का आरोप बिनसर अभयारण्य में बंदरो को छोड़ने पर जताई आपत्ति

अल्मोड़ा:- अल्मोड़ा शहर में वन विभाग द्वारा पकड़े जा रहे बंदरों को गांवो में भेजने का आरोप लगा है| ताकुला के भैंसोड़ी में संपन्न विभिन्न…

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अल्मोड़ा:- अल्मोड़ा शहर में वन विभाग द्वारा पकड़े जा रहे बंदरों को गांवो में भेजने का आरोप लगा है| ताकुला के भैंसोड़ी में संपन्न विभिन्न संगठनों की बैठक में अल्मोड़ा में पकड़े गये बंदराें को वन विभाग द्वारा बिनसर अभयारण्य में छोड़ने पर गहरी आपत्ति जताई गयी। वक्ताओं ने कहा कि अभयारण्य से प्रभावित गांव पहले ही जंगली जानवरों के आतंक से त्रस्त हैं। जंगली सुअर व बंदरों से हो रहे नुकसान के कारण ग्रामीण खेती करना छोड़ रहे हैं। यहां तेंदुओं द्वारा हर साल 300 से अधिक मवेशी मारे जा रहे हैं। पशुक्षति का मुआवजा पिछले पांच वर्षों से नही मिला है। इन समस्याओं से निजात दिलाने की मांग को लेकर ग्रामीण दशकों से आंदोलित हैं, लेकिन समस्याओं से निजात दिलाने के वजाय यहां बाहर से लाकर जंगली जानवर छोड़े जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बिनसर अभयारण्य के चारों तरफ आबादी है। शहरों में रहने वाले बंदर जंगल में न रहकर गांवों व कस्बों में रहना पसंद करते हैं। पूर्व में भी यहां छोड़े गये बंदरों ने गांव में घुसकर कई लोगों को काट दिया था। तब वन विभाग ने भविष्य में बिनसर जंगल में बाहर से लाकर जानवर न छोड़ने का आश्वासन दिया था। उन्होंने जानवरों को एक जगह से पकड़कर दूसरी जगह छोड़ने की वन विभाग की नीति पर गहरा रोष जताते हुए उन्हें बंदर बाड़ों में रखने की मांग की।
बैठक में तय किया गया कि यदि विभाग द्वारा पुनः ऐसा किया गया तो इसके खिलाफ व्यापक जनांदोलन प्रारम्भ कर दिया जायेगा।
बैठक को सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर जोशी, वन पंचायत सरपंच संगठन के अध्यक्ष डूंगर सिंह, ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष सुनील बाराकोटी, मल्ला स्यूनरा विकास मंच के अध्यक्ष चंदन सिंह बिष्ट, ग्राम प्रधान रघुवर जोशी, अशोक भोज, मीना बिष्ट, महेश जोशी, बिशन बाराकोटी ने संबोधित किया|