यह हैं व्यवस्था के हाल 11 दिन बाद भी नहीं पहुंचा पर्वतारोही का शव, परिजनों की आंखे पथराई, प्रशासन की उपेक्षा पर जताई नाराजगी

उत्तरा डेस्क- नेपाल के मकालू पर्वत के आरोहण के दौरान जिंदगी की जंग हारे शहीद नारायण सिंह परिहार के पार्थिव शरीर का इंतजार करते करते…

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परिजनो को ढ़ाढ़स बधाते जगत मर्तोलिया

उत्तरा डेस्क- नेपाल के मकालू पर्वत के आरोहण के दौरान जिंदगी की जंग हारे शहीद नारायण सिंह परिहार के पार्थिव शरीर का इंतजार करते करते परिजनों की थक गयी है|11 वें दिन तक एक पटवारी तक प्रशासन की तरफ शहीद के घर बरम नहीं पहुंचा है, शहीद के घर में सन्नाटा पसरा हुआ है| शहीद के छोटे छोटे तीन बच्चे टकटकी लगाकर हर आने वाले को देख रहे हैं, अभी तक शहीद के शरीर के आने का कोहरा छटा नहीं है| माता – पिता व पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है|
पूरे परिवार में संशय का माहौल बना हुआ है|
हंसते खेलते इस परिवार को 16 मई को जैसे ही इस घटना की सूचना मिली, परिवार की जमीन खिसक गयी मृतक नारायण देश के लिए नेपाल में मकालू पर तिरंगा फहराने के लिए गया था, उसे पता नहीं था कि वह तिरंगा तो फहरा देगा ,लेकिन तिरंगे में लपेट कर उसके शरीर को अपने वतन लौटना पडे़गा इस घटना को हुए इतने दिन जो बीते उसने अनेक सवाल खड़े कर दिये है| देश भक्ति व राष्टवाद का गाना गाने वालों पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है| आज तक एक पटवारी या पुलिस के जवान ने शोक की घड़ी में इस परिवार का हाल चाल जानने की कोशिश तक नहीं की| यह बात भी उठ रही है कि जिले के प्रशासन व पुलिस विभाग के मुखिया किस गहरी नींद में है कि वे ग्राम स्तर पर तैनात अपने महाततों को शहीद के घर नहीं भेज सके| देश के लिए बलिदान देने वाले के परिवार की जानकारी लेने की आवश्यक्ता तक ये नहीं समझते है| क्षेत्र से बम्पर वोट से चुनाव जीते सांसद अजय टम्टा ने अखबारों में शोक व्यक्त किया कहा था कि डीएम से कहा है कि वह वहां मेडिकल टीम भेजो, लोगों का आरोप है कि जिस काम को रूटीन में हो जाना चाहिए था उसे सांसद के कहने पर भी डीएम नहीं करवा पा रहा है| इसे किसकी गैर जिम्मेदारी कहेंगे या निकम्मापन की संज्ञा दी जायेगी| अभी तक पक्ष व विपक्ष का कोई नेता शहीद के घर नहीं पहुंचा| चुनाव से पहले शहीद व पूर्व सैनिकों के सम्मान में शाल ओढ़ाने व कसीदा कसने में कोई पीछे नहीं रहता है, नेतागण सड़क में आना जाना कर रहे है, लेकिन सड़क से बीस मीटर नीचे कोई नहीं उतरा|
शनिवार को भाजपा नेता जगत मर्तोलिया शहीद के घर पहुंच उन्होंने परिजनों को ढ़ाढस बधाया| उन्होंने कहा कि इस परिवार ने किसी पर आगुली नहीं उठाई , लेकिन बात बात में अपना दर्द बयां किया,एक घंटे तक शहीद के परिवार के साथ बिताने के बाद मर्तोलिया ने हर बात पर दुख जताया, कहा कि उन्हें भी जल्दी नहीं आने का जीवन भर मलाल रहेगा . शहीद की पत्नी दीपा देवी,माता मोतिमा देवी ने अन्न का एक दाना गले में नहीं उतारा है जबकि पिता बीर सिंह सयाने लोगो के समझाने पर दाना गले में डाल रहे है ,लेकिन निगल पाना मुश्किल हो रहा है| ऐसी स्थिति में परिवार के तीन लोगों का जीवन भी संकट में है| भाजपा नेता मर्तोलिया ने पहले सी.एम .ओ. से बात की मर्तोलिया ने कहा कि 30 मई शहीद का पार्थिव देह यहां नहीं पहुंचा तो फिर हम सरकार व सेना पर दबाव बनाने का की रणनिति को धरातल पर उतारेंगे.
भाजपा नेता मर्तोलिया ने कहा कि 27 साल के सामाजिक जीवन में पहली बार एक ऐसा डीएम देखा जो बीस बार फोन करने के बाद भी फोन रिसीव नहीं करता| कहा कि शनिवार को बरम से पिथौरागढ़ तक दो घंटे की यात्रा में बीस बार मर्तोलिया ने डीएम को सरकारी मोबाइल नंबर पर फोन किया, कोई रिसपांस नहीं मिला, मर्तोलिया ने कहा कि सरकारी नंबर पर कोई सामान्य नागरिक भी डीएम से कुछ भी गुहार लगा सकता है| मर्तोलिया ने कहा कि जिलाधिकारी का यहीं हाल रहा तो वे व्यवहार के खिलाफ डीएम कार्यालय पर मौन व्रत रखकर विरोध जतायेंगे|
उन्होंने कहा कि शहीद के घर में शोकाकुल माहौल को देखते ही हर एक का दिल पिघल रहा है. इन बातो से अनजान शहीद के बेटे तीन साल के नैतिक की किलकारी महौल का सन्नाटा तोड़ने का प्रयास मात्र कर रही है. शहीद दो बेटियां दस साल की मनीषा, पांच साल की रेनू माता व दादी के साथ रोने में लगी है| भाजपा नेता मर्तोलिया ने कहा कि बरम इंटर कॉलेज का नाम शहीद नारायण सिंह परिहार के नाम पर किये जाने की मांग को लेकर जून में सीएम से मुलाकात की जायेगी,देश के लिए अमर होने वाले शहीद को यह सम्मान हर हाल में दिया जायेगा|

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