प्रेरणादायक पहल:- अल्मोड़ा घूमने आए युवक ने बाजार में देखा पाँलीथीन का ढेर तो उठा लिया पहाड़ को पाँलीथीन मुक्त करने का बीड़ा, अल्मोड़ा में लगायी इको फ्रेंडली बैग उत्पादन की इकाई

अल्मोड़ा:- अपने गृह क्षेत्र की अल्मोड़ा बाजार में घूमने आए युवक को जगह जगह पड़ा पाँलीथीन कचरे ने अंदर तक झकझोर दिया बाजार में खुलेआम…

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अपनी इकाई में मशीनों के साथ अजय

अल्मोड़ा:- अपने गृह क्षेत्र की अल्मोड़ा बाजार में घूमने आए युवक को जगह जगह पड़ा पाँलीथीन कचरे ने अंदर तक झकझोर दिया बाजार में खुलेआम पाँलीथीन का उपयोग होते देख उन्होंने इस पहाड़ी शहर की सुंदरता को दागदार बना रहे प्लास्टिक व पाँलीथीन से मुक्त करने का उपाय सोच डाला, परिजनों की राय लेने से पहले ही उन्होंने एेसी अनुकरणीय पहल की कि आज उनकी आजीविका भी इस पहल से चल रही है साथ ही पांच लोगों को नियमित रोजगार मिला है वहीं अपने गांव के छोटे बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहे हैं|

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अपनी इकाई में अजय फोटो- उत्तरान्यूज


यहां बात हो रही है अल्मोड़ा शहर से लगे घनेली गांव निवासी अजय आर्या कि बाजार को पाँलीथीन मुक्त बनाने के लिए न तो उन्होंने जनजागरण का रास्ता चुना और न ही किसी एनजीओ का दामन ही पकड़ा उन्होंने टू दि प्वांइट निर्णय लेते हुए अल्मोड़ा में एक नाँन वोमेन बैग(फेब्रिक ) की इकाई अल्मोड़ा में डाल कर इसे व्यवसाय के रूप में अपनाने की ठान ली, 19 फरवरी 2017 को उन्होंने अल्मोड़ा में ‘ए प्रिंट इंडस्ट्री’ नाम की फेब्रिक बैग तैयार करने की इकाइ डाल दी, आज वह पांच लोगों को नियमित रोजगार दे रहे हैं वहीं अल्मोड़ा में व्यवसाइयों को मैदानी क्षेत्रों से भी कम कीमत पर ऩाँन वोमेन बैग आपूर्तित कर रहें हैं, इकाई में सामान्य फेब्रिक बैग के अलावा प्रिंटेट बैग भी तैयार कर रहे हैं स्थानीय स्तर पर इसे दुकानदार हाथों हाथ ले रहे हैं|

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उन्होंने कहा कि पूरी तरह इको फ्रेंडली बैग तैयार करना अगला लक्ष्य है जिसमें पेपर बैग दुकानों में उपलब्ध कराए जाएंगे, उन्होंने कहा कि रिजन्बल कीमतों में हर दुकान तक वह अपना उत्पाद पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं | हालांकि पूरी योजना अजय की खुद की है यदि प्रशासन की मदद मिली तो वह और अच्छे ढंग से काम कर सकते हैं, यहां एक बात और काबिलेगौर है कि जहां पहाड़ के युवा पढ़ाई करने के बाद नौकरी के लिए महानगरों में भटकते हैं वहीं मुंबई, बरेली व हल्द्वानी में पढ़ाई करने वाले अजय ने व्यवसाय के लिए पहाड़ को चुना जहां वह सुचारु रूप से इस इकाई का संचालन कर रहे हैं|

अल्मोड़ा के शैल में यह इकाई स्थापित की गई है यहां डिजायनिंग के बाद 30 मशीनों में काम होता है, जरूरतमंदों को प्रशिक्षण देने की भी अजय की योजना है|
अजय के पिता सेना में कार्यरत थे इसलिए कक्षा दो तक की पढ़ाई घनेली गांव में करने के बाद वह उनके साथ चले गए, मुंबई, बरेली व हल्द्ववानी में उन्होंने इंटर तक की शिक्षा ली, लेकिन पाँलीथीन की समस्या ने उन्हें एक एेसा बिजनेस आइडिया दिया कि वह यहीं जम गए|उन्होेंने बताया कि व्यवसाय के अलावा वह अपने गांव घनेली के 71बच्चों व लमगड़ा के 25 बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहे हैं| हंसता बचपन इस अभियान का नाम रखा गया है| उन्होंने कहा कि पूरी तरह इको फ्रेंडली बैग तैयार करना अगला लक्ष्य है जिसमें पेपर बैग दुकानों में उपलब्ध कराए जाएंगे, उन्होंने कहा कि रिजन्बल कीमतों में हर दुकान तक वह अपना उत्पाद पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं | हालांकि पूरी योजना अजय की खुद की है यदि प्रशासन की मदद मिली तो वह और अच्छे ढंग से काम कर सकते हैं, यहां एक बात और काबिलेगौर है कि जहां पहाड़ के युवा पढ़ाई करने के बाद नौकरी के लिए महानगरों में भटकते हैं वहीं मुंबई, बरेली व हल्द्वानी में पढ़ाई करने वाले अजय ने व्यवसाय के लिए पहाड़ को चुना जहां वह सुचारु रूप से इस इकाई का संचालन कर रहे हैं|

इस व्यवसाय के अलावा अजय सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय है। उन्होने पहले तो अपने गांव के युवाओं को एकत्रित किया और हंसता बचपन नाम से बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में मदद करने के लिये अगला कदम बढ़ा दिया है। ​फिलहाल हंसता बचपन ग्राम घनेली के 71 बच्चों व लमगड़ा के 25 बच्चों को निशुल्क कोचिंग की सुविधा दे रहा है। हसंता बचपन का अगला लक्ष्य इन बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने का है।

अजय से इस नंबर पर संपर्क किया जा सकता है- 9997684644