उत्तराखंड निकाय चुनाव,OBC आरक्षण पर आयोग की सिफ़ारिशों से सियासत गरमाई

उत्तराखंड में निकाय चुनाव से पहले OBC आरक्षण को लेकर सियासत गरमा गई है। OBC आरक्षण के लिए गठित आयोग की सिफ़ारिशों पर सवाल उठने…

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उत्तराखंड में निकाय चुनाव से पहले OBC आरक्षण को लेकर सियासत गरमा गई है। OBC आरक्षण के लिए गठित आयोग की सिफ़ारिशों पर सवाल उठने लगे हैं। आयोग ने नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए OBC वर्ग को सबसे ज़्यादा 38.97 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफ़ारिश की है। वहीं, नगर पालिकाओं में अध्यक्ष पद पर 28.10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई है।

बता दें, आयोग की सिफ़ारिशों का कई राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि आयोग ने OBC वर्ग की आबादी का सही आकलन नहीं किया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में OBC वर्ग की आबादी 38 से 40 प्रतिशत के बीच है, जबकि कई राजनीतिक दलों का दावा है कि राज्य में OBC वर्ग की आबादी 50 प्रतिशत से ज़्यादा है।

OBC आरक्षण का मामला हाई कोर्ट में भी पहुँच गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब माँगा है। ऐसे में देखना होगा कि राज्य सरकार इस मामले में क्या रुख़ अपनाती है और निकाय चुनाव में OBC आरक्षण को लेकर क्या फ़ैसला लेती है।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में राज्य के सभी निकायों में OBC वर्ग के लिए आरक्षण की सिफ़ारिश की है। राज्य के 9 नगर निगमों में पार्षद की कुल 460 सीटों में से OBC वर्ग के लिए 82 सीटें आरक्षित करने की सिफ़ारिश की गई है। 41 नगर पालिकाओं में अध्यक्ष पद के लिए 12 सीटें और सभासद की 471 सीटों में से 102 सीटें OBC वर्ग के लिए आरक्षित करने की सिफ़ारिश की गई है। 45 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए 16 सीटें और सभासद की 302 सीटों में से 54 सीटें OBC वर्ग के लिए आरक्षित करने की सिफ़ारिश की गई है।