अल्मोड़ा:: प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत(Sumitranandan Pant) के स्यूनराकोट स्थित पैतृक आवास का हुआ कायाकल्प, यहां संजोई जाएगी कविवर की विरासत

The ancestral house of Sumitranandan Pant, a gentle poet of nature, at Seunrakot was rejuvenated स्यूनराकोट/अल्मोड़ा, 26 अप्रैल 2024- प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाने…

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The ancestral house of Sumitranandan Pant, a gentle poet of nature, at Seunrakot was rejuvenated

स्यूनराकोट/अल्मोड़ा, 26 अप्रैल 2024- प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाने वाले पंडित सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) का पैतृक घर का कई प्रयासों व लंबे इंतजार के बाद कायाकल्प कर दिया गया है

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जीर्ण क्षीर्ण अवस्था में ऐसा दिखता था कविवर पंत का पैतृक घर


हवालबाग ब्लॉक के स्यूनराकोट में स्थित इस भवन के सुधारीकरण के बाद इस ऐतिहासिक घर का कायाकल्प कर दिया गया है। उम्मीद है कि रूपांतरित यह भवन जल्द ही संग्रहालय का रूप लेगा।
ज्ञानपीठ, पदमश्री, पदम विभूषण जैसे सम्मान हासिल करने वाले प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रा नंदन पंत (Sumitranandan Pant,)का जन्म स्थान अविभाजित अल्मोड़ा जिले के कौसानी में बताया व माना जाता रहा।

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जीर्णोद्धार के बाद ऐसा दिखता है पंत जी का घर


जबकि उनका पैतृक गांव हवालबाग ब्लॉक के स्यूनराकोट में है। लंबे समय तक लोग उनके जन्म स्थान को कौसानी बताते रहे हैं।


पैतृक गांव में उनका पुश्तैनी आवास देखभाल के अभाव में जीर्ण क्षीर्ण हो गया था। तब स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों और कविवर पंत की थाती को वास्तविक पहचान के लिए जुटी सुमित्रा नंदन पंत स्मारक समिति के प्रयासों और स्थानीय लोगों की पहल पर धीरे-धीरे काम आगे बढ़ता गया और रंग लाती पहल और प्रयासों का परिणाम है कि आज उनका पैतृक आवास एक अच्छे स्वरूप में सामने आ गया है।


वहां स्थित सुरंगों ( लोकोक्ति में गुफाएं) का जीर्णोद्धार कर दिया गया है जबकि प्राचीन नौले को एएसआई ने अपने संरक्षण में ले लिया है।

http://अल्मोड़ा के स्यूनराकोट में मनाई गई प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पन्त (Sumitranandan Pant)की 124 वीं जयन्ती ☞ https://www.uttranews.com/124-th-birth-anniversary-poet-sumitranandan-pant/


कविवर सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant)(20 मई 1900 – 28 दिसंबर 1977) की जयन्ती 20 मई को हर साल उनके पैतृक गांव में कार्यक्रमों का आयोजन जो अब नियमित हो गया है उसकी शुरूआत सुमित्रानंदन पन्त स्मारक समिति ने 2005 से की और अनवरत हर साल वहां उनकी जयन्ती मनाई जाती है। कार्यक्रम स्थल पर पहले एक टिन शैड का निर्माण भी कराया गया था। यहां समिति की अथक प्रयासों के बाद यह सपना हकीकत में बदला।
जहां यह भवन बना है उसके लिए गांव के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ललित प्रसाद पंत ने अपनी एक नाली जमीन दान में दी। उन्होंने बताया कि पंत जी का पुस्तैनी घर और जमीन को वास्तविक रूप से प्रमाणित‌ करने को भी कई प्रयास करने पड़े।
उन्होंने कहा कि बंदोबस्ती के पुराने दस्तावेजों से गुंसाई दत्त ( पंत जी का बचपन का नाम), पिता गंगा दत्त व माता सरस्वती देवी का प्रमाण जुटाने के बाद जमीन और मकान उनके (पंत जी) के नाम पर हुआ।
जमीन जिनके नाम पर थी उन्हे संतुष्ठ करने को ललित पंत ने अपनी जमीन दान की।
समिति में लाल सिंह अध्यक्ष है, सेवानिवृत प्रधानाचार्य नीरज पंत कोषाध्यक्ष हैं ललित पंत उपाध्यक्ष बनाए गए है। उन्होंने बताया कि पंत जी के जन्म के बाद जल्द ही उनकी माता का निधन हो गया था उन्हें पालन पोषण के लिए उन्हे कौसानी भेज दिया गया बचपन वहां बिताने के बाद फिर वह पढ़ाई को अन्यत्र चले गए और उनका पैतृक घर आना नहीं हो पाया।यह सारे प्रमाण भी प्रशासन को दिए गए।


अल्मोड़ा की तत्कालीन डीएम वंदना सिंह 2022 में वहां भ्रमण पर गई उसके बाद इस कार्य को जिला योजना में शामिल किया गया और पर्यटन विभाग ने तेजी से काम किया वहीं अन्य स्थानीय लोग भी अपने स्तर से प्रयासों में जुट गए, जिला पंचायत सदस्य महेश नयाल जिला योजना के प्रस्ताव तैयार करने में मुख्य सहयोगी के रूप में मौजूद रहे।


समिति के कोषाध्यक्ष नीरज पंत ने बताया कि इस‌ कार्य को मूर्त रूप देने में सांसद अजय टम्टा, ब्लॉक प्रमुख बबीता भाकुनी, जिला पंचायत सदस्य महेश नयाल और कविवर पन्त (Sumitranandan Pant)के नाती सुधांशू पंत, व क्षेत्र पंचायत सदस्स आनंद डंगवाल ने भी मदद की।


इसके अलावा पंत स्मारक समिति यहां हर साल व्याख्यान आयोजित करती रही है जिसमें उनकी नातिन व गायिका विमल पंत, मेजर जनरल जेसी पंत, विपिन पंत कपिलेश भोज दिवा भट्ट, शेर सिंह , डॉ. सुनील पंत , रतन सिंह किरमोलिया भी सहयोगी की भूमिका में रहे। डा प्रयाग जोशी ने भी व्याख्यान दिया है। महादेवी वर्मा सजृन पीठ ने भी कार्यक्रम में सहयोग किया।


समिति के कोषाध्यक्ष नीरज पंत तब जीआईसी कमलेश्वर में शिक्षक थे 2005 से वह समिति के सहयोग से प्रतिवर्ष वहां कार्यक्रमों का आयोजन करवाने के साथ ही कविवर पंत के पैतृक आवास का जीर्णोद्धार की पहल से जुड़े रहे इसी प्रयासों के बीच पूर्व में सरकार ने जीआईसी कमलेश्वर का नाम सुमित्रानंदन पंत के नाम पर रखने की स्वीकृति भी दी थी हालांकि अभी यह स्वीकृति धरातलीय रूप नहीं ले पाई है।


नीरज पंत का कहना है कि भविष्य के प्रयासों में समिति कविवर पंत(Sumitranandan Pant) की आदम कद प्रतिमा और एक पुस्तकालय की स्थापना के लिए जनसहयोग से कार्य कर रही है। 20 मई को इस बार भी भव्य‌ और उत्साहित से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।


इधर जिला पंचायत सदस्य महेश नयाल ने कहा कि सुमित्रा नंदन पंत के गांव में उनकी आदम कद प्रतिमा की स्थापना की मांग पूरे क्षेत्र के जनसमुदाय की है इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं ‌। साथ ही वहां एक स्तरीय पुस्तकालय की स्थापना की मांग भी सरकार से की है‌। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कविवर पंत की विरासत को संजोने के लिए जल्द ही जनसमुदाय की इस मांग पर सकारात्मक कार्यवाही सरकार करेगी।