शिक्षा का अधिकार(rte) कानून लागू होने 14 वर्ष बाद भी नहीं सुधरे हालात, केवल 25 फीसदी स्कूलों में ही हो पाया लागू

Even after 14 years of implementation of the Right to Education Act, the situation has not improved, it could be implemented only in 25 percent…

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Even after 14 years of implementation of the Right to Education Act, the situation has not improved, it could be implemented only in 25 percent of the schools

आईटीई(rte) फोरम, सीएसीएल व उत्तराखंड फोर्सेज ने जारी किया सार्वजनिक घोषणा पत्र

अल्मोड़ा, 13 अप्रैल 224-0शिक्षा का अधिकार कानून (rte act) लागू हुए 14 वर्ष बाद भी नहीं लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया है, अभी भी केवल 25 फीसदी स्कूलों में ही यह नियम लागू हो पाया है।
यही नहीं जिस तरह लगातार सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं उससे प्रत्येक 1 किमी दूरी पर प्राथमिक स्कूल को मानकों के अनुरूप संचालन में दिक्कत आ रही है।

18वीं लोकसभा के चुनावों को देखते हुए बाल श्रम के खिलाफ अभियान (सी.ए.सी.एल), आर. टी.ई फोरम एवं उत्तराखंड फोर्सेज ने संयुक्त रूप से बच्चों की शिक्षा, पोषण एवं बाल श्रम से सुरक्षा को लेकर एक सार्वजनिक घोषणा पत्र 2024 जारी किया है।
इस घोषणा पत्र को सभी राजनैतिक दलों, प्रत्याक्षियों एवं समुदायों के पास तक पहुँचाने के लिए अभियान संचालित किए जाने का निर्णय लिया गया है।

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घोषणापत्र में सीएसीएल की राज्य समन्वयक नीलिमा भट्ट, आरटीई फोरम के रघु तिवारी और उत्तराखंड फोर्सेज के डा. पुंडीर की ओर से यह कहा गया है कि शिक्षा अधिकार कानून जो कि मात्र 25.5 प्रतिशत विद्यालयों में ही लागू हो पाया है तथा वर्तमान में देश में 8.4 लाख शिक्षकों के पद पूर्णतः खाली है। आर.टी.ई के अनुसार प्रत्येक 1 किमी पर प्राथमिक विद्यालय होने का कानूनी प्रावधान भी लागू नहीं हुआ है इसलिए 2026 तक सभी स्कूलों को आरटीई कानून के हिसाब से पूर्ण रूप से सुसज्जित किया जाए और सभी मानकों को लागू किया जाए। इसी तर्ज पर शिक्षा के अधिकार का दायरा 18 वर्ष तथा बाल श्रम को भी 18 वर्ष तक पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किए जाने की मांग उठायी गयी है।

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इस सार्वजनिक घोषणा पत्र में बाल श्रम को रोकने के लिए राज्य में टास्क फोर्स को सक्रिय करने की मांग उठायी एवं बाल श्रम से मुक्त कराये गए बच्चों के लिए बाल और किशोर श्रमिक पुनर्वास निधि के तहत संसाधनों का उचित कार्यान्वयन और वितरण किए जाने की बात कही गयी है। कोठारी कमीशन की संस्तुतियों के अनुसार शिक्षा का बजट सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 6 प्रतिशत किया जाए।

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घोषणा पत्र में कहा गया है कि जैसा कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ड्राप आउट बच्चों के बारे में चिंतित है उसी को देखते हुए ड्राप आउट बच्चों को विद्यालय में ले जाने के लिए क्रेश एवं डे केयर सेंटर स्थापित किए जाए एवं प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए प्रभावशाली व्यवस्थायें संचालित हों।
बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए पोषाहार संबंधी सभी कार्यक्रमों को विकेन्द्रीकृत व्यवस्था के रूप में संचालित कर स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारी दी जाए और राज्य स्तर पर उसकी निगरानी निरंतर रूप से करने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए।
उत्तराखंड राज्य के जनप्रतिनिधियों को चुनाव पूर्व बच्चों के मुद्दे पर सजग करने के लिए बाल श्रम के खिलाफ अभियान (सी.ए.सी.एल), आर.टी.ई फोरम एवं उत्तराखंड फोर्सेज ने संयुक्त रूप से 12 अप्रैल 2024 से एक संयुक्त अभियान की शुरूवात कर रहे है। जिसके लिए एक बारह सूत्रीय घोषणा पत्र भी जारी किया गया है।