जाने उत्तराखंड में एमआरपी से ज्यादा की क्यों मिल रही है शराब कौन लगाएगा इस पर रोक

प्रदेश में शराब की दुकानों पर जमकर ओवर रेटिंग हो रही है और इस पर लगाम लगाने के लिए अक्सर कार्यवाही की जाती है लेकिन…

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प्रदेश में शराब की दुकानों पर जमकर ओवर रेटिंग हो रही है और इस पर लगाम लगाने के लिए अक्सर कार्यवाही की जाती है लेकिन फिर भी इस पर अंकुश लगाना काफी मुश्किल होता जा रहा है। सेल्समैन और ठेकेदार आपस में   साठ गांठ करके जनता को बेवकूफ बना रहे हैं।

आबकारी विभाग ने शराब के ओवर रेटिंग पर नियम बनाए हैं लेकिन यह नियम इतने सख्त हैं की चौथी बार पकड़े जाने पर भी लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान है फिर भी शराब माफिया मनचाहे दाम वसूल कर रहे हैं ।

शराब की ओवर रेटिंग को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा लगातार अभियान चलाया जाता है लेकिन दुकान संचालक भी ओवर रेटिंग करने से बाज नहीं आते हैं। उत्तराखंड में शराब मूल्य से अधिक बेचना अब एक आम बात हो गई है। पहले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। मिली जानकारी के अनुसार जब से शराब के ठेकेदार और सेल्समेन के बीच साझेदारी शुरू हुई है तब से शराब बेचने वाले सेल्समैन अब अपने मार्जिन को बचाने के लिए ओवर रेटिंग का सहारा लेते हैं। यह चलन अब एक आम बात सी हो गई है और जब तक यह साझेदारी रहेगी तब तक शराब की ओवर रेटिंग होती रहेगी और इसे रोक पाना मुश्किल होगा।

एमआरपी से ₹10 अतिरिक्त लेना एक सामान्य बात है। उत्तराखंड सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व जीएसटी डिपार्मेंट से आता है। उसके बाद दूसरे नंबर पर आबकारी विभाग से आता है। ऐसे में अगर देखा जाए तो आबकारी विभाग सरकार को सबसे ज्यादा पैसा देता है लेकिन इसकी आड़ में और क्या-क्या होता है यह सभी को पता है।

प्रदेश में हाल ही के वर्षों में शराब की ओवर रेटिंग जबरदस्त तरीके से बढी है।अब शराब की हर एक दुकान पर एमआरपी से 10 या ₹20 अतिरिक्त लेना एक आम बात हो गई है। शराब के एमआरपी पर ₹10 एक्स्ट्रा देना अब ग्राहक की आदत भी बन गई है कि किसके विरोध का कोई फायदा नहीं होता।

बताया जा रहा है कि शराब के ओवर रेटिंग उस समय शुरू हुई जब शराब बेचने वाले सेल्समैन और लाइसेंसीधाराको के बीच साझेदारी हुई वास्तव में इसमें सेल्समैन को लाइसेंस धारी तनख्वाह पर नहीं बल्कि पार्टनरशिप में रखते हैं फिर सेल्स में इस ओवरराइटिंग के जरिए अपना मुनाफा निकलते हैं। यदि शराब व्यापारिक नियमों के विरुद्ध जाकर शराब को एमआरपी से अधिक मूल्य में बेचते हैं तो इसके खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई भी की जाती है और यह कार्यवाही विफल हो जाती है।

इसके अलावा इंफोर्समेंट के लिए अधिकारियों की तैनाती भी विभाग द्वारा अलग से की जाती है। विभाग ने ओवर रेटिंग को लेकर एक नियम बनाया है, जिसके अनुसार हर सर्कल के आबकारी निरीक्षक को अपने क्षेत्र में 10 किलोमीटर तक के दायरे की सभी शराब की दुकानों पर महीने में दो बार और 10 किलोमीटर के दायरे से बाहर की दुकानों पर महीने में एक बार निरीक्षण करना होगा।

आबकारी विभाग में शराब की ओवरराइटिंग को लेकर कई सारे नियम बनाए हैं यदि नियम का कोई उल्लंघन करता है तो वह मुश्किल में पढ़ सकता है। यदि पहली बार ओवर रेटिंग में कोई पकड़ा जाता है तो उसे 50000 का जुर्माना भरना होगा लेकिन इसके बाद भी अगर व्यापारी ओवरराइटिंग फिर से पकड़ा गया तो उसे 75000 का जमाना दे रहा होगा। तीसरी बार में ₹100000 का जुर्माना है लेकिन इसके बाद भी अगर व्यापारी नहीं सुनता है तो चौथी बार में उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।ऐसे कठोर नियमों के बाद भी ओवरराइटिंग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।