अपनी मांगो को लेकर मुखर हुई आशा कार्यकर्तियां,ले सकती है चुनाव बहिष्कार का निर्णय

अपनी मांगो को लेकर आंदोलन कर रही आशा कार्यकर्तियों के धैर्य का बांध अब टूटने लगा है। विगत दिवस हुई रैली के बाद आशा कार्यकर्तियों…

Asha workers became vocal about their demands, may take decision to boycott elections

अपनी मांगो को लेकर आंदोलन कर रही आशा कार्यकर्तियों के धैर्य का बांध अब टूटने लगा है। विगत दिवस हुई रैली के बाद आशा कार्यकर्तियों में सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है।
गौरतलब है कि आशा कार्यकर्तियों ने कल यानि 11 मार्च को सचिवालय कूच किया लेकिन पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया।

विगत दिवस यानि कल सोमवार 11 मार्च उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की आशा कार्यकर्तियों ने देहरादून सचिवालय कूच किया। सचिवालय गेट के पास उनके जुलूस को पुलिसबल ने रोक दिया। गेट पर रोके जाने से आक्रोशित आशा कार्यकर्तियों ने सरकार और शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

यह गतिरोध शाम के 3 बजे तक चलता रहा। तीन बजे के आसपास पुलिस ने आशा कार्यकर्तियों को अलग—अलग बसों में बैठाकर वहां से हटाया।आशा कार्यकर्तियों का आरोप है कि उन्हें बसो में ठूस दिया गया और चार घंटे बाद ही छोड़ा गया। कई आशा आशा फेसिलेटर और कई आशा कार्यकर्तियों का सामान गायब हो गया।अल्मोड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि आशा कार्यकर्तियों और आशा फेसिलेटर को जबरन पुलिस बसों में ठूस कर लें गई,उन्होने इसके लिए शासन प्रशासन की घोर निन्दा करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार महिला सशक्तिकरण की बातें ही करती है,जबकि हकीकत कुछ और ही है।

आशा कार्यकर्तियों की मांगों में 20 दिन की मोबलेटी को 30 दिन किये जाने,आशा कार्यकत्रियों और आशा फैसिलिटेटरों को हर महीने 24 हजार रूपये मानदेय देने,आशाओं को 18000 रूपया महीना वेतन देने,आशा फैसिलिटेटरों की 20 दिन की मोबिलिटी को 30 दिन करने,आशा एवं आशा फैसिलिटेटरों को पल्स पोलियों डयूटी में दिए जाने वाले भत्ते को 100 रूपये रोजाना से बढ़ाकर 600 रूपये रोजाना किए जाने,पीएलए और वीएचएसएनसी बैठक में भाग लेने का मानदेय 100 रूपये रोजाना से बढ़ाकर 800 रूपये किए जाने की मांग शामिल है। आंदोलनरत आशा कार्यकत्रियों ने आशा एवं आशा फैसिलिटेटरों की प्रोत्साहन धनराशि में बढ़ोत्तरी की मांग भी की।


इधर आशा कार्यकर्तियां सीएम धामी से मुलाकात की मांग पर अड़ी रही लेकिन उनकी सीएम से मुलाकात नही हो सकी। कार्यकर्तियों में सरकार के इस रवैयें पर गहरा आक्रोश देखा गया है। दबी जुबान से आशा कार्यकर्तियां चुनाव बहिष्कार की बात करती देखी गई।